देश भोपाल न्यूज़ (Bhopal News) मध्‍यप्रदेश

मप्रः विज्ञान के सहयोग से सृजित कर सकते हैं रोजगार के अवसर : सीएम शिवराज

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि भारत खगोल विज्ञान, गणित और आध्यात्म के क्षेत्र में लगातार आगे रहा है। विज्ञान के सहयोग से प्रदेश में अपार संपदा का उपयोग कर हम रोजगार के अवसर सृजित (employment opportunities created) कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सीएम राइज स्कूल में सभी विषयों के साथ विज्ञान के अध्ययन के लिए भी समुचित व्यवस्था रहेगी।

मुख्यमंत्री चौहान बुधवार शाम को ‘मध्यप्रदेश विज्ञान सम्मेलन एवं प्रदर्शनी’ का मंत्रालय से वीसी के माध्यम से उद्घाटन कर रहे थे। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ओम प्रकाश सखलेचा भी उपस्थित थे। मध्यप्रदेश विज्ञान सम्मेलन और प्रदर्शनी का आयोजन आईआईटी इंदौर में सम्पन्न हुआ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश विज्ञान सम्मेलन महत्वपूर्ण आयोजन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्म-निर्भर भारत का मंत्र दिया है। हमने आत्म-निर्भर भारत के लिए आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश का लक्ष्य तय किया है। यह सम्मेलन आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का रोड मेप बनाने में मील का पत्थर साबित होगा। भारत ने दुनिया को ज्ञान का प्रकाश और विज्ञान का वरदान दिया है। भारत में धर्म, साहित्य, संस्कृति, विज्ञान की परंपरा है। हमारा विज्ञान बहुत गौरवशाली और समृद्ध है।

उन्होंने कहा कि धर्म और विज्ञान एक दूसरे का समर्थन करते हैं। मंत्र भी एक विज्ञान है, ध्वनि ऊर्जा है और ऊर्जा कभी नष्ट नहीं होती। मंत्रों के चमत्कार विज्ञान ने सिद्ध किए हैं। भारत ने खगोल विज्ञान, गणित आदि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ब्रह्मगुप्त, वराहमिहिर, भास्कराचार्य जैसे प्रसिद्ध गणितज्ञ हमारे यहाँ हुए हैं। शून्य का आविष्कार भी भारत में हुआ। गणित और विज्ञान में भारत का महत्वपूर्ण योगदान है। जयपुर में बनी वेधशाला अपने आप में आश्चर्यजनक है। ज्ञान-विज्ञान, आध्यात्म के क्षेत्र में भारत लगातार आगे रहा है। इस ज्ञान-विज्ञान को हम उचित रूप से संकलित करके नहीं रख पाए। यह भी माना जाता है कि भारत के विचारों और ज्ञान-विज्ञान तकनीक को ले जाकर दूसरे देशों द्वारा विभिन्न प्रकार के अविष्कार किए गए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में हर क्षेत्र में वैज्ञानिक दृष्टिकोण रहा है। हमें वैज्ञानिक विकास से उत्पन्न परिस्थितियों को भी समझना होगा। कोरोना पर स्थिति हमारे सामने हैं, इसके साथ कैंसर एक्सप्रेस की बातें भी सुनाई दे रही हैं। यह परिस्थितियाँ प्रकृति के विनाश, अवैज्ञानिक दृष्टिकोण और अव्यवस्थित जीवन पद्धति के परिणाम स्वरुप निर्मित हुई हैं। भारत में प्रकृति के शोषण के स्थान पर प्रकृति के दोहन का दर्शन था। कृषि के मामले में हमें परिस्थितियों पर विचार करने की आवश्यकता है। रासायनिक खाद ने हमारे अन्न और सब्जियों को विषाक्त कर दिया है। परिणामस्वरूप ऑर्गेनिक खेती की बात हो रही है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं, इससे समुद्र का जल-स्तर तो बढ़ेगा ही साथ ही नदियाँ भी प्रभावित होंगी।

उन्होंने कहा कि केवल तकनीक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी महत्वपूर्ण है। भारत में प्रकृति पूजा वैज्ञानिक दृष्टिकोण का परिणाम थी। पर्वतों, वृक्षों, नदियों की पूजा, प्रकृति के महत्व को दर्शाती है। नदियाँ यदि रहेंगी, उनमें जल रहेगा तो वे जीवन देती रहेंगी, यह हमारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण है।

उन्होंने कहा, विकास के विषय में भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। हमें संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है। धरती केवल मनुष्य के लिए है, यह सोच गलत है। पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों, कीट-पतंगों के अस्तित्व के बिना धरती का अस्तित्व संभव नहीं है। उन्होंने कहा, लोकल को वोकल बनाने में बेहतर तकनीक का उपयोग सहयोगी सिद्ध होगा। प्रदेश में स्व-सहायता समूहों में काम कर रही महिलाओं को यदि थोड़ा विज्ञान और तकनीक का सहयोग मिल जाए, तो उनके उत्पाद बेहतर हो सकते हैं। उत्पादों की उपयोगिता और गुणवत्ता में सुधार आ सकता है।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश के कृषि उत्पाद की प्रोसेसिंग करके हम जो उत्पाद बनाते हैं वे गुणवत्तापूर्ण हों, यह विज्ञान के सहयोग के बिना संभव नहीं है। प्रत्येक क्षेत्र में वैज्ञानिक दृष्टिकोण आवश्यक है। प्रदेश में रोजगार सृजित करने में प्रदेश में उपलब्ध भरपूर वन-संपदा, खनिज-संपदा, जल-संपदा सहयोगी है। प्रदेश में हीरा और कोयले की खदानें भी हैं। इन सबका उपयोग करते हुए आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण की दृष्टि से आज का सम्मेलन बहुत महत्वपूर्ण है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विज्ञान यात्रा के आयोजन से बच्चों में सहज वैज्ञानिक प्रवृत्ति विकसित होगी। बच्चों की जिज्ञासु प्रवृत्ति को देखते हुए सीएम राइज स्कूल में प्रयोगशालाओं और बेहतर विज्ञान शिक्षकों की व्यवस्था की जा रही है। विज्ञान यात्रा के माध्यम से स्थानीय प्रतिभा को पहचानने में मदद मिलेगी। अलग-अलग जिलों के ज्ञान-विज्ञान तकनीक की पहचान होगी। प्रदेश में वन औषधियों का खजाना है। बुरहानपुर, झाबुआ में अपनी-अपनी तरह की तकनीक है। इस दिशा में और शोध हो तो विज्ञान के क्षेत्र में मध्यप्रदेश महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

उन्होंने कहा कि इस विज्ञान सम्मेलन और विज्ञान प्रदर्शनी से आगे का मार्ग प्रशस्त होगा। कार्यक्रम में 12 शासकीय और अशासकीय शिक्षण संस्थाएँ जुड़ी हैं। शैक्षणिक, तकनीकी और वैज्ञानिक संस्थाओं को मिलकर देश की उन्नति की दिशा में कार्य करने का अवसर मिलेगा। मध्यप्रदेश केंद्रित परंपरागत ज्ञान-विज्ञान और टेक्नोलॉजी को आधुनिक संदर्भों में प्रोत्साहित किया जाएगा। स्वतंत्रता आंदोलन में भारतीय विज्ञान और वैज्ञानिकों के योगदान का भी स्मरण किया जाएगा। खेल कूद और विज्ञान, संगीत और विज्ञान, पर्यटन और विज्ञान ऐसे विषय हैं जिन पर कम चर्चा होती है। रोजगार सृजन की दृष्टि से विज्ञान और तकनीक के आधार पर बहुत बड़ा काम किया जा सकता है। इस संदर्भ में भी सम्मेलन में चर्चा होगी।

मुख्यमंत्री ने विज्ञान भारती मालवा टीम को बधाई देते हुए कहा कि इस आयोजन से जो निष्कर्ष निकलेंगे उनके क्रियान्वयन के लिए वैज्ञानिकों, टेक्नोक्रेट्स और अधिकारियों की एक टीम बनाई जाएगी। यह टीम राज्य सरकार को निरंतर सलाह देगी ताकि विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में प्रदेश निरंतर प्रगति कर सके। विज्ञान और तकनीक के माध्यम से लोगों के जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है।

इंदौर में आयोजित कार्यक्रम में विज्ञान भारती मालवा प्रांत के अध्यक्ष प्रो. कुमुद वर्मा, मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग के डॉ भारत सिंह, मैपकास्ट के डायरेक्टर जनरल डॉ. अनिल कोठारी सहित प्रो. दीपक फाटक, डॉ. अनिल काकोड़कर तथा विज्ञान भारती के राष्ट्रीय सचिव जयंत सहस्त्रबुद्धे उपस्थित थे। (एजेंसी, हि.स.)

Share:

Next Post

मप्रः पायलेट प्रोजेक्ट के तहत वनोपज विक्रय कार्य का होगा विकेंद्रीकरण : शिवराज

Thu Dec 23 , 2021
मुख्यमंत्री ने किया अंतरराष्ट्रीय वन मेले का शुभारंभ भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि प्रदेश में वनोपज के विक्रय (sale of forest produce) के वर्तमान प्रचलित कार्य का विकेंद्रीकरण (Decentralization of current prevailing work) किया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट (pilot project) के तहत वनवासियों और वन समितियों द्वारा प्रोडक्ट […]