नई दिल्ली। अफगानिस्तान(Afghanistan) में नवगठित तालिबान सरकार (Taliban Government) में उपप्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर (Deputy Prime Minister Mulla Abdul Ghani Baradar) का पाकिस्तानी पासपोर्ट(Pakistani passport) और पहचान-पत्र (identity card) सामने आया है। दोनों दस्तावेजों में उसका नाम मोहम्मद आरिफ आघा (Mohd Arif Agha) के रूप में दर्ज किया गया है। इससे पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) के काबुल पर कब्जे के अभियान में तालिबान को मदद देने की खबरों को एक बार फिर बल मिला है। इस तरह से यह साबित होता है कि तालिबान की अफगान की सत्ता में वापसी में पाकिस्तान ने जमकर मदद की है।
मुल्ला बरादर का पाकिस्तानी पहचानपत्र (अनुक्रमांक संख्या : 42201-5292460-5) दस जुलाई 2014 को जारी किया गया था। इसमें उसका जन्म साल 1963 का बताया गया है। वहीं, पिता के नाम के कॉलम में सय्यद एम नजीर आघा लिखा है। यह पहचान-पत्र ताउम्र वैध है। पाकिस्तान के महापंजीयक ने बकायदा इस पर दस्तखत कर रखे हैं। वहीं, मुल्ला बरादर के पाकिस्तानी पासपोर्ट की बात करें तो इसका नंबर ‘जीएफ680121’ है। यह भी दस जुलाई 2014 को जारी किया गया था।
पाकिस्तान पर लंबे अरसे से तालिबान को अफगान सुरक्षाबलों के खिलाफ अभियान में सैन्य, वित्तीय और खुफिया मदद मुहैया कराने के आरोप लगते आ रहे हैं। हालांकि, इस्लामाबाद ने सभी आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए इन्हें सिरे से खारिज किया है। ‘काबुल वॉचर्स’ के मुताबिक, मुल्ला बरादर ने मुल्ला उमर के साथ मिलकर तालिबान की स्थापना की थी। वह पाकिस्तान के क्वेटा में रहता था और तालिबान की शूरा काउंसिल का सदस्य था। उसे मोहम्मद आरिफ आघा के नाम से भी जाना जाता था। अमेरिका सहित अन्य पश्चिमी देशों के साथ शांति समझौते के दौरान वह दोहा में शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनेकजई के साथ तालिबान के राजनीतिक मिशन की अगुवाई कर रहा था।
बरादर की खास बातें
- मुल्ला बरादर तालिबान के संस्थापकों में से एक है।
- 1994 में तालिबान के गठन में वह भी शामिल था।
- 1996 से 2001 के शासन के दौरान अहम भूमिका निभाई थी।
- 2001 में अमेरिकी हमले के बाद से देश छोड़कर भाग गया था।
- 2010 में पाकिस्तान के कराची से गिरफ्तार हुआ था।
- कतर के दोहा में तालिबान के राजनीतिक दफ्तर की कमान संभाली।