उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

भोपाल से आए अधिकारी कान्ह डायवर्शन के पाईप ढूंढते रह गए

  • विभिन्न विभागों की टीम ने कान्ह नदी, शिप्रा नदी और नर्मदा लिंक सभी जगह का निरीक्षण किया
  • इंदौर में कान्ह नदी पर फिल्टर प्लांट की भी योजना

उज्जैन। कल तीन विभागों के सचिव स्तर के अधिकारी उज्जैन आए थे और उन्होंने कान्ह नदी को शिप्रा नदी में मिलने से रोकने के लिए जमीनी दौरा किया लेकिन अधिकारियों को कुछ समझ में नहीं आया और टीम लौट गई..साधुओं के प्रदर्शन के बाद शासन द्वारा टीम भेजी गई थी। आश्चर्य की बात यह रही कि कान्ह डायवर्शन योजना के स्थान पर भी अधिकारी गए लेकिन उन्हें वहाँ कुछ नहीं दिखा।
कान्ह नदी का दूषित जल शिप्रा में मिलने  से रोकने के लिए शुक्रवार को भोपाल एवं इंदौर से विभिन्न विभागों के अधिकारियों की टीम ने शिप्रा किनारे विभिन्न स्थलों का दौरा किया, जिसमें राघौपिपलिया पर स्थित खान नदी डायवर्शन, शनि मंदिर पर स्थित त्रिवेणी संगम जहां से खान नदी का पानी शिप्रा नदी में मिलता है और नर्मदा पाइप लाइन का उद्गम स्थान का निरीक्षण किया। कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि कान्ह नदी के दूषित पानी को शिप्रा नदी मेंं स्थाई रूप से मिलने से रोकने के संबंध में सभी पहलुओं पर विचार किया गया जिसमें पहला कान्ह नदी में राघौपिपलिया पर एक स्टॉप डेम बनाया जाएगा एवं दूसरा शनि मंदिर पर त्रिवेणी संगम में कान्ह नदी पर स्टॉप डेम बनाया जाएगा, इसके अतिरिक्त इंदौर में कान्ह नदी पर ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की योजना पर भी कार्य किया जाएगा।


इन सभी प्रस्तावों पर स्थानीय अधिकारी मंथन करेंगे और एक फाइनल प्लान सप्ताह के भीतर बनाकर भोपाल भेजा जाएगा जिस पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा अंतिम मोहर लगेगी। कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि खान डायवर्शन योजना इसलिए फेल हुई क्योंकि इसकी डिजाइन 5 क्यूबिक वाटर हिसाब से की गई थी लेकिन पानी की आवक बढऩे पर यह 10 क्यूबिक तक चला जाता है जिसके कारण से पाइप की क्षमता से दोगुना पानी आने के कारण ओवरफ्लो हो जाता है और दूसरा खान नदी में इंदौर से आने वाला केमिकल युक्त पानी पाइप के डायमीटर को खराब कर रहा है जिस कारण से पाइपलाइन का क्षरण हो रहा है। बहरहाल कलेक्टर आशीष सिंह के बताए अनुसार कान्ह नदी का डायवर्शन प्लान जिस पर 200 करोड़ रुपए खर्च हुआ था, जिसके फेल होने का कारण पाइपलाइन की क्षमता से दुगना पानी आना और केमिकल के पानी से पाइप लाइन का क्षरण होना है, ऐसे में 200 करोड़ रुपए की खान डायवर्शन योजना को बनाने वाले इंजीनियर एवं अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है, क्योंकि इन अधिकारियों और इंजीनियरों ने 200 करोड़ की योजना बनाने में उपरोक्त पहलुओं का ध्यान नहीं रखा, जिसके चलते करोड़ों रुपए लगाने के बाद भी यह योजना विफल हो गई। ऐसे में स्थानीय निवासियों का कहना है कि कान्ह डायवर्सन योजना की जांच की जाना चाहिए। नदी के दूषित जल के शिप्रा नदी में मिलने के कारण से शिप्रा नदी दिनोंदिन दूषित होते जा रही है और करोड़ों रुपए लगने के बाद भी शिप्रा नदी का शुद्धिकरण नहीं हो पा रहा है। शिप्रा शुद्धिकरण के मुद्दे को लेकर उज्जैन के संतो द्वारा शिप्रा किनारे अनशन एवं धरना प्रदर्शन पिछले दिनों किया गया, जिसके बाद शासन प्रशासन के नुमाइंदों द्वारा संतों को भरोसा दिलाया गया कि शिप्रा शुद्धिकरण पर अब ठोस कार्य योजना तैयार की जाएगी, जिसके चलते भविष्य में खान नदी का पानी शिप्रा नदी को दूषित नहीं कर सके अब देखना यह है कि अधिकारियों और इंजीनियरों द्वारा एक बार पुन:  शिप्रा शुद्धिकरण की कार्य योजना बनाई जा रही है। ऐसे में यह योजना कितने करोड़ की होगी और यह कितनी सफल होगी यह समय ही बताएगा।

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