भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

झूठे आंकड़े देते हैं अफसर, इसलिए हर साल होता है खाद संकट

  • इफको के एमडी का दावा खाद मैनेजमेंट में फेल हैं सरकारें

भोपाल। देश-प्रदेश में रबी सीजन में हर साल खाद का संकट होता है। जबकि रबी फसलों की बुबाई का रकबा लगभग तय रहता है। इसके बावजूद भी सरकार समय पर खाद की व्यवस्था नहीं कर पाती है। देश में हर साल 6 लाख मीट्रिक टन डीएपी और 8 लाख मीट्रिक टन यूरिया बनाने वाली प्रमुख खाद निर्माता कंपनी इफको (IFFCO) के एमपी-छत्तीसगढ़ के संचालक अमित प्रताप सिंह (Director Amit Pratap Singh) का कहना है कि खाद प्रबंधन के मामले में सरकारें पूरी तरह से फेल हैं। सरकार अफसरों से डिमांड पूछती है। अफसर दफ्तरों में बैठकर झूठे आंकड़े देते हैं, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और होती है।



उन्होंने कहा कि सरकार हमेशा मांग से कम खाद खरीदती है। इसलिए हर साल समस्या बनती है। इसके अलावा 70: 30 के अनुपात से खाद दी जाती है। 70 फीसदी खाद सरकारी संस्थान को दी जाती है, जबकि 30 फीसदी निजी संस्थानों को देती है। सिंह ने कहा कि खाद संकट गहराने का मुख्य कारण पहले से मांग का आकलन न करना है। जब कम खाद होती है तो किसान भी ज्यादा खरीदने लगते हैं। इधर बिचौलिए भी मुनाफाखोरी के फेर में सक्रिय होते हैं, इसलिए यह समस्या बन रही है।

अब आएगा नैनो यूरिया, ड्रोन से होगा छिड़काव
इफको के डायरेक्टर ने बताया कि इफको ने नैनो यूरिया बनाया है। 500 एमएल नैनो यूरिया की किट की क्षमता 50 किलोग्राम यूरिया खाद जितनी है। इसे किसान आसानी से एक जगह से दूसरी जगह तक ले जा सकेगा। उन्नतशील किसान ड्रोन से नैनो यूरिया को कीटनाशक दवाओं की तरह छिड़काव करा सकेगा। इससे मेहनत की बचत होगी और उत्पादन भी बढ़ेगा। इस तरह का प्रयोग भारत में ही हुआ है। इफको ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसका पेटेंट कराया है। यह बहुत बड़ा मार्केट बनने जा रहा है।

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