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    आप सांसद राघव चड्ढा को राज्यसभा के सभापति से मिलकर बिना शर्त माफी मांगने को कहा सुप्रीम कोर्ट ने

  • November 03, 2023


    नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को आम आदमी पार्टी के निलंबित सांसद (Suspended MP of AAP) राघव चड्ढा (Raghav Chadha) को राज्यसभा के सभापति (Rajya Sabha Chairman) जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhad) से मिलकर (To Meet) सदन में अपने कथित कदाचार के लिए (For His Alleged Misconduct in the House) बिना शर्त माफी मांगने को कहा (Asked to Apologize Unconditionally) । चड्ढा को इस साल अगस्त में पांच राज्यसभा सांसदों का चयन समिति में नाम शामिल करने से पहले उनकी सहमति नहीं लेने के आरोप में निलंबित कर दिया गया था।


    सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि आप नेता द्वारा मांगी गई माफी पर राज्यसभा सभापति “सहानुभूतिपूर्वक” विचार करेंगे। पीठ ने चड्ढा के वकील द्वारा दिए गए बयान को दर्ज किया कि निलंबित आप सांसद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से यह बताने के लिए मिलने का समय मांगेंगे कि उनका संसद के उच्च सदन की गरिमा को प्रभावित करने का कोई इरादा नहीं था।

    चड्ढा की ओर से पेश हुए वकील शादान फरासत ने कहा कि उनका मुवक्किल राज्यसभा का सबसे कम उम्र का सदस्य है और वह नए सिरे से बिना शर्त माफी मांगने में संकोच नहीं करेगा। चड्ढा ने राज्यसभा से अपने निलंबन को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।

    सोमवार को, शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की थी कि किसी सांसद को निलंबित करने से उसके द्वारा प्रतिनिधित्व किये जा रहे मतदाताओं के अधिकार पर “गंभीर असर” पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि चड्ढा के खिलाफ लगाए गए आरोपों में उन सदस्यों के फर्जी हस्ताक्षर शामिल नहीं हैं – जिन्होंने संसदीय पैनल में अपना नाम शामिल करने के लिए सहमति नहीं दी थी।

    चड्ढा ने शीर्ष अदालत के समक्ष दलील दी थी कि राज्यसभा के सभापति जांच लंबित रहने तक सदन के किसी सदस्य को निलंबित करने का आदेश नहीं दे सकते, खासकर तब, जब विशेषाधिकार समिति पहले से ही उसी मुद्दे पर जांच कर रही हो। आप नेता पर दिल्ली सेवा विधेयक से जुड़े एक प्रस्ताव में पांच सांसदों का नाम उनकी सहमति के बिना जोड़ने का आरोप है। चड्ढा को तब तक के लिए निलंबित कर दिया गया है जब तक उनके खिलाफ मामले की जांच कर रही विशेषाधिकार समिति अपनी रिपोर्ट नहीं सौंप देती।

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