ब्‍लॉगर

हमारा अध्यात्म लोकमंगल का उपकरण व यथार्थवादी

– हृदयनारायण दीक्षित संसार प्रत्यक्ष है। इसी संसार में जीवन है। यह असार नहीं। संसार के कुछ अंश अल्पकालिक रूप में होते हैं। उनका उदय होता है, अस्त भी होता है। यह प्रकृति की स्वाभाविक कार्यवाही है। अल्पकालीन होने के कारण उन्हें असार नहीं कहा जा सकता। संसार का एक भाग शाश्वत है। हम उसे […]