कसक के 39 बरस आज 39 बरस हो गए हैं उनसे जुदा हुए… वक्त को खफा हुए…संकरे-से शहर में उम्मीदों की कलम की स्याही को रोशन कर उन्होंने अग्निबाण का ख्वाब लिखा और उसकी ताबीर में खुद को खपा दिया…जेब से फक्कड़ थे, मगर जिगर में जुनून था… जेहन में चिंताएं थीं […]