इंदौर। छह साल की सजा के बाद जमानत पर रिहा हुए ग्रीनलैंड शेल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर अरविंद बंजारी (Arvind Banjari, Director, Greenland Shelters Pvt. Ltd.) कालोनियों के डेवलपमेंट की अनुमति के लिए आवेदन लेकर पहुंचे, लेकिन आपा खोते हुए कलेक्टर पर ही भडक़ उठे। अपर कलेक्टर सहित अधिकारियों ने लताड़ लगाते हुए आवेदनकर्ताओं की नहीं सुनने का हवाला दिया और शनिवार को बैठक बुलाकर निराकरण करने की बात कही।
ग्रीनलैंड, ग्रीनलाइफ (Greenland, Greenlife) के नाम से विकसित हुई पांच कालोनियों में विकास करने की मांग लेकर पहुंचे आवेदनकर्ताओं के साथ कालोनाइजर भी नजर आया। आवेदनकर्ताओं के सुर में सुर मिलाकर कालोनाइजर कलेक्टर से हुज्जत करने लगा। इस पर भडक़ते हुए अपर कलेक्टर ने उसे याद दिलाया कि गलती उसकी है, जिसकी वह छह साल की सजा काटने के बाद जमानत पर रिहा हुआ है। अधिकारियों के भडक़ते ही कालोनाइजर के सुर ठंडे हुए और फिर वह विकास अनुमति दिए जाने की गुहार लगाने लगा। महू क्षेत्र स्थित ग्रीनलैंड कंपनी के इस कालोनाइजर द्वारा पांच कालोनियंा काटी गईं, लेकिन सालों बीत जाने के बावजूद खरीदारों को न जमीन नसीब हुई और न ही उक्त स्थल की रजिस्ट्री। कालोनाइजर ने 42 प्लाटधारकों को छोडक़र कई लोगों के साथ धोखाधड़ी भी की।
फिर बयानबाजी पर उतरा
पांच साल से धक्के खा रहे शिकायतकर्ताओं ने बताया कि ग्रीनलाइफ ग्रीनव्यू सिटी और ग्रीनलाइफ सिटी हिल्स सहित पांच कालोनियों का विकास कालोनाइजर द्वारा नहीं किया जा रहा है। कालोनाइजर का कहना है कि 6 साल तक जेल में रहने के कारण वह विकास नहीं कर पाया। अब उसे विकास अनुमति मिले तो विकास कार्य कर देगा।
अपर कलेक्टर को सौंपी जांच
कलेक्टर ने उक्त मामले की जांच और निराकरण का जिम्मा अपर कलेक्टर राजेश राठौर को सौंपा है। कालोनियों से संबंधित सभी अनुमतियों एवं स्वीकृतियों का फैसला जांच समिति की रिपोर्ट के बाद किया जाएगा।
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