उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

कुलियों ने कहा लालू यादव जैसा रेल मंत्री कोई नहीं हुआ

  • मोदी सरकार ने कुलियों के कल्याण के लिए नहीं किया कुछ भी-रेलवे प्लेटफार्म से विलुप्त होते कुली

उज्जैन। लालू जब रेल मंत्री थे तब कुलियों को रेलवे में नौकरी देने की शुरुआत हुई थी लेकिन उसे मोदी सरकार ने बंद कर दिया है। अब धीरे-धीरे रेलवे स्टेशन से कुल गायब होते जा रहे हैं। स्टेशन पर अब गिनती के कुली ही रह गए हैं और वे भी आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। आने वाले समय में हो सकता है कुल की धंधा कोई न करे। क्योंकि सरकार कोई प्रोत्साहन नहीं दे रही है। एक वक्त था जब कुली का पेशा रेलवे में बहुत महत्वपूर्ण होता था प्लेटफार्म पर लंबी लाइन लगाकर ट्रेनों का इंतजार करते हैं कुली देखे जा सकते थे और ट्रेन आने पर यात्रियों का सामान प्लेटफार्म से रेलवे स्टेशन के बाहर तक पहुंचाते थे लेकिन वक्त के साथ-साथ इस पेशे से जुड़े लोगों में कमी आई है और यह कमी काम की कमी के चलते देखी जा रही है। उज्जैन कुली एसोसिएशन के अध्यक्ष शफी बाबा ने बताया कि उज्जैन रेलवे स्टेशन पर एक समय 40 से अधिक कुली होते थे लेकिन अब इनकी संख्या आधे से भी कम रह गई है।


उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव ने रेल मंत्री रहते जिन योजनाओं की घोषणा की थी और उन्हें लागू भी किया था जिनमें से कुलियों को रेलवे विभाग में नौकरी देने एवं कुलियों को 60 साल के बाद पेंशन देना प्रमुख है। इस योजना के तहत उज्जैन के 20 से अधिक कुली रेलवे में शामिल होंगे और अब वह रेलवे की मुलाजिम हैं लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद इन दोनों योजनाओं को बंद कर दिया गया जिसके चलते 60 वर्ष से अधिक उम्र के कुली जिनका कोई उत्तराधिकारी नहीं है उनका गुजर बसर करना अब मुश्किल हो चुका है। कोरोना संक्रमण के चलते ट्रेन बंद होने से पिछले 2 साल से कुलियों की आय खत्म हो चुकी है और कई कुलियों ने अन्य पेशे  की ओर रुख कर लिया है जिसके कारण से कुली अब प्लेटफार्म पर कुछ संख्या में ही रह गए हैं। हालात यह है कि कुलियों को प्लेटफार्म पर घंटा इंतजार करने के बाद 100 से 200 रुपए नसीब होते हैं जिसके कारण से कुलियों की माली हालत बहुत खराब हो चुकी है और ऐसा लगता है कि आने वाले समय में कुली का पेशा विलुप्त हो जाएगा। अब नए कुलियों को बेच नहीं दिए जा रहे हैं। रेलवे की तरफ से भी कुलियों को कोई सहायता नहीं दी जा रही है बल्कि बेच देने की अवज में रेलवे को सालाना किराया देना पड़ता है और पेंशन नहीं होने की वजह से कुलियों का भविष्य सुरक्षित नहीं रहा है।

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