भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

उपेक्षितों के साथ मिलकर आम आदमी पार्टी बिगाड़ेगी भाजपा-कांग्रेस का खेल

  • भाजपा-कांग्रेस के नाराज और हताश नेताओं को अपनाएगी आप

भोपाल। दिल्ली के बाद पंजाब में सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी ने मप्र पर अपना पूरा फोकस किया है। पार्टी ने प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव लडऩे का ऐलान किया है। इसके बाद से ही पार्टी संगठन विस्तार पर जोर दे रही है। चुनाव में भाजपा और कांग्रेस को चुनौती देने के लिए आप ने दोनों पार्टियों के उपेक्षित नेताओं को अपनाने की तैयारी कर ली है। पार्टी सूत्रों के अनुसार भाजपा कांग्रेस के नाराज और हताश नेताओं को आप में लाकर उन्हें चुनौती के रूप में आगे बढ़ाया जाएगा। यह इस बात का संकेत है कि आप भले ही सरकार न बना पाएगी, लेकिन भाजपा और कांग्रेस का खेल जरूर बिगाड़ देगी। गौरतलब है कि मप्र विधानसभा चुनावों में अब महज 13 महिने का समय बचा है। ऐसे में जहां राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारी तेज कर दी है वहीं टिकट के दावेदारों ने भी अभी से चुनावी मैदान में ताल ठोकनी शुरू कर दी है। वे अभी से क्षेत्र में सक्रिय हो गए हैं। इन दोनों दलों के साथ पहली बार आम आदमी पार्टी भी सक्रिय दिखाई दे रही है। कुछ दिन पहले ही राजधानी में उसने पार्टी की बड़ी बैठक कर प्रदेश की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लडऩे को ऐलान कर दिया है। हाल ही में हुए नगरीय निकाय चुनावों में सिंगरौली में मेयर और प्रदेश के कई जिलों में करीब 60 पार्षद जीतने से आप बेहद उत्साहित है और प्रदेश में अब अपनी राजनीतिक जमीन का मजबूत करने में जुट गई है।


उपेक्षित नेताओं का आशा का केंद्र आप
दरअसल मध्यप्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव परिणामों में आप को मिली सफलता ने राजनीतिक पंडितों का ध्यान उसकी ओर खींचा है। वहीं भाजपा और कांग्रेस के उपेक्षित नेताओं का आशा का केन्द्र भी चुनाव के समय आप का बनना लगभग तय माना जा रहा है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा से टिकट की चाह रखने वाले कई नेता आप की झाड़ू थाम कर चुनावी मैदान में दिखेंगे। कांग्रेस के 15 महीने का शासन छोड़ दें तो भाजपा पिछले अठारह साल से सत्ता में है। पार्टी के कई लगातार विधायक बन रहे हैं और उनके पीछे नेताओं की एक लंबी फौज इन सालों में खड़ी हो गई है जो पिछले कई सालों से विधानसभा चुनाव टिकट की बाट जोह रही है। भाजपा में फिलवक्त करीब 60 प्रतिशत विधायक ऐसे हैं जो कम से कम तीन बार से लगातार विधायक हैं। ऐसे में इस बार टिकट को लेकर बेहद घमासान तय है। टिकट न मिलने पर कई नेता आप का रूख कर सकते हैं। यही स्थिति कांग्रेस में भी संभावित है। नगरीय निकाय चुनावों में मिली संजीवनी से कांग्रेस को फिर से उत्साह में ला दिया है। यहां भी टिकट को लेकर नेताओं के टकराहट होना तय है। ऐसे में नाराज नेता आप के बैनर तले अपनी चुनाव लडऩे की हसरत पूरी करते दिख सकते हैं।

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