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मणिपुर में जब तक लूटे हुए हथियार बरामद नहीं होंगे, तब तक जारी रहेगी हिंसाः लेफ्टिनेंट जनरल कलिता

गुवाहाटी (Guwahati)। मणिपुर (Manipur) में जातीय झड़पों (Ethnic clashes) को पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता (Eastern Army Commander Lieutenant General Rana Pratap Kalita) ने ‘राजनीतिक समस्या’ ( ‘political problem’) करार दिया है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि जब तक सुरक्षा बलों (security forces) से लूटे गए करीब चार हजार हथियार (Nearly four thousand weapons looted) आम लोगों से बरामद नहीं हो जाते, तब तक हिंसा की घटनाएं जारी रहेंगी।

पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ ने यह भी कहा कि भारत मिजोरम और मणिपुर में आम ग्रामीणों, सेना या पुलिस सहित म्यांमार से शरण चाहने वाले किसी भी व्यक्ति को शरण दे रहा है, लेकिन उग्रवादी समूहों या मादक पदार्थों के तस्करों के सशस्त्र कैडरों को नहीं।


हिंसा रोकने में हम काफी हद तक रहे सफल
उन्होंने कहा, जहां तक जमीनी स्थिति का सवाल है, भारतीय सेना का उद्देश्य शुरू में अपने घरों से विस्थापित हुए लोगों के लिए बचाव और राहत अभियान चलाना था।कलिता ने कहा, ‘इसके बाद, हम हिंसा को रोकने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें हम काफी हद तक सफल रहे हैं। लेकिन दो समुदायों, मेइतेई और कुकी के बीच ध्रुवीकरण के कारण, यहां और वहां कुछ छिटपुट घटनाएं होती रहती हैं।’

यह पूछे जाने पर कि झड़प शुरू होने के साढ़े छह महीने से अधिक समय के बाद भी मणिपुर में सामान्य स्थिति क्यों नहीं लौटी है, उन्होंने कहा कि राज्य में रहने वाले तीन समुदायों – मैतेई, कुकी और नागा – के बीच कुछ विरासत संबंधी मुद्दे हैं। लेफ्टिनेंट जनरल ने बताया कि इससे पहले भी 1990 के दशक में कुकी और नागाओं के बीच संघर्ष हुआ था जब लगभग एक हजार लोग मारे गए थे।

अब तक सिर्फ 1500 हथियार ही लगे हाथ
अब हुआ ये है कि दोनों समुदाय पूरी तरह से ध्रुवीकृत हो गए हैं, हालांकि हिंसा का स्तर कम हो गया है, विभिन्न पुलिस स्टेशनों और अन्य स्थानों से पांच हजार से अधिक हथियार छीन लिए गए हैं। उसमें से करीब 1500 हथियार ही बरामद हो पाए हैं तो, लगभग चार हजार हथियार अभी भी बाहर हैं। जब तक ये हथियार समाज के बीच रहेंगे, तब तक इस तरह की छिटपुट हिंसक गतिविधियां जारी रहेंगी।

दोनों राज्यों में सीमा चौकियां मौजूद
उन्होंने कहा, वर्तमान में, असम राइफल्स मणिपुर और मिजोरम में भारत-म्यांमार सीमा का प्रबंधन कर रही है और अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ दोनों राज्यों में उनकी सीमा चौकियां हैं।

म्यांमार के 31,000 से अधिक लोग मिजोरम में रह रहे हैं। ये विदेशी, ज्यादातर चिन राज्य से, फरवरी 2021 में म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद भाग गए। कई लोगों ने पड़ोसी मणिपुर में भी शरण ली।

पिछले कुछ हफ्तों में, भारत के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास तैनात म्यांमार के दर्जनों सैनिक मिलिशिया समूह पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) के साथ तीव्र गोलीबारी के बाद मिजोरम भाग गए। बाद में उन्हें मणिपुर के मोरेह के रास्ते वापस उनके देश ले जाया गया।

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