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Ayodhya में बन रहे भव्य राम मंदिर आखिर इस शैली में क्यों, जानिए धार्मिक मान्यताएं

अयोध्या: सुप्रीम कोर्ट के सुप्रीम फैसले के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की नगरी में भव्य राम मंदिर का निर्माण चल रहा है. मंदिर में लगने वाले पत्थरों को देख कर ही पता चलता है कि, इस मंदिर का सबसे आकर्षण का केंद्र पत्थरों पर उकेरी जाने वाली नक्काशी है. वास्तु शास्त्र के अनुसार भगवान राम का मंदिर नागर शैली में बनाया जा रहा है. जिसका डिजाइन गुजरात के सोमपुरा की फैमिली ने तैयार किया है.

गौरतलब है कि, मंदिर का नक्शा उत्तर भारत की नागर शैली पर बनाया गया है. नागर शैली उत्तर भारतीय हिंदू स्थापत्य कला के तीन शैलियों में से एक शैली है. रामलला के मंदिर निर्माण में राजस्थान से बंसी पहाड़पुर के पत्थरों का इस्तेमाल किया जा रहा है. प्लिंथ का काम लगभग पूरा हो गया है. गर्भ ग्रह का निर्माण कार्य किया जा रहा है. ट्रस्ट की मंशा है कि, जनवरी 2024 तक भगवान राम अपने गर्भ गृह में विराजमान हो और भक्तों को दर्शन दें.


नागर शैली में बने प्रसिद्ध मंदिर
विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा बताते हैं कि, नागर शैली में बने कुछ प्रसिद्ध मंदिरों की बात करें, तो इनमे गुजरात का सोमनाथ मंदिर, मध्य प्रदेश के खुजराहों तथा उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी में बने मंदिर इसके सबसे अच्छे उदाहरण हैं.

जानिए क्या है नागर शैली?
शरद शर्मा बताते हैं कि, नागर शैली में बने मंदिर चतुर्भुज होते हैं. पहला शिखर ऊंचा होता है. उसके बाद मंडप होते हैं. गर्भ गृह के चारों ओर ढका हुआ प्रदक्षिणा पथ भी होता है. प्राचीन काल में राजा महाराजा राजस्थान से पत्थर लाकर मंदिर का निर्माण कराते थे. क्योंकि वहां पर दो प्रकार के पत्थर होते हैं.

एक पिंक स्टोन और दूसरा रेड स्टोन पिंक स्टोन पत्थर पर आसानी से नक्काशी की जा सकती है. इस दृष्टि से इस शैली को अपनाया गया है.

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