उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

खराब मोबाइल के कारण हाईटेक नहीं हो पा रही आंगनवाडिय़ाँ

  • हर महीने 200 का रिचार्ज स्वयं करा रही कार्यकर्ता- डाटा फीडबैक में आ रही दिक्कत

उज्जैन। आंगनवाडिय़ों को हाईटेक बनाने की सरकार की योजना ठंडे बस्ते में ही पड़ी है। उज्जैन सहित पूरे मध्यप्रदेश को 97 हजार मोबाइल की जरूरत है, लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग को सरकार से जो मोबाइल मिले हैं उनमें से अधिकांश खराब हो गए हैं। बीस प्रतिशत के लगभग मोबाइल भी रुक-रुककर चल रहे हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग को लेकर मंत्रालय ने हाईटेक करने की योजना तो बना ली, लेकिन उज्जैन सहित कई जिलों में यह योजना ठंडे बस्ते में ही पड़ी है। पिछले चार साल से उज्जैन सहित कुछ जिलों में सरकार ने ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सुपरवाइजरों को मोबाइल उपलब्ध कराए थे, जबकि इंदौर सहित रायसेन, श्योपुर, अशोकनगर, गुना, ग्वालियर, हरदा, आलीराजपुर, धार, बालाघाट, छिंदवाड़ा, जबलपुर, मंडला, नरसिंहपुर, सिवनी, रीवा, सतना, अनूपपुर, शहडोल, देवास, मंदसौर सहित मध्यप्रदेश के कई जिलों को मोबाइल खरीदने के लिए कोई बेचवाल ही नहीं मिल रहा। विभाग को भोपाल मंत्रालय से निर्देश मिले हैं कि जब तक मोबाइलों की पूर्ति न हो जाए, जेम पोर्टल पर निविदाएं आमंत्रित की जाती रहें।


80 फीसदी मोबाइल किसी काम के नहीं रहे
उज्जैन शहर की 108 आंगनवाडिय़ों को हाईटेक करने के लिए 108 एंड्रायड मोबाइल की आवश्यकता है, वहीं 15 सुपरवाइजर को मिलाकर यह आंकड़ा 123 होता है, लेकिन विभाग को मिले सरकार की ओर से इन मोबाइलों में से लगभग 80 प्रतिशत खराबहो चुके हैं तथा किसी काम के नहीं रहे हैं। बचे हुए मोबाइल खराब क्वालिटी के कारण काम में नहीं आ रहे हैं। बंद हो चुके मोबाइल आंगवाडिय़ों में धूल खा रहे हैं।

8 से 10 हजार का मोबाइल चाहिए
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार आंगनवाडिय़ों को हाईटेक करने के लिए आठ से दस हजार रुपए कीमत के मोबाइल दिए जा रहे हैं। इन मोबाइल में 2.5 प्रोसेसर के साथ विभिन्न तरह की सुविधाओं की लिस्ट जारी की गई है। विभाग ने जारी निविदा में शर्त रखी है कि जो भी मोबाइल कंपनी पूर्ति के लिए सामने आती है, उसका सर्विस सेंटर उज्जैन में ही होना अनिवार्य है। मोबाइल में एडमिन पोर्टल, स्कैन डिवाइस, ब्लूटूथ, वाईफाई आदि सुविधाएं मौजूद होना चाहिए।

यह है योजना
महिला एवं बाल विकास विभाग ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को मोबाइल देकर हाईटेक बनाने की योजना चार साल पहले शुरू की थी, जिसमें कहा गया था कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मोबाइल के माध्यम से सेंटर पर आने वाले सभी बच्चों के पोषण की जानकारी अपलोड करेंगी, वहीं गर्भवती महिलाओं को दिए जाने वाले पोषण और दुर्घटनावश या जानबूझकर किए गए गर्भपात की ट्रैकिंग भी की जाएगी। इन मोबाइल के माध्यम से कार्यकर्ता आंगनवाड़ी सेंटरों पर लगने वाले सामानों की मांग भी रख सकेंगी।

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