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ग्राहकों को उनकी स्थानीय भाषा में सर्विस दी जानी चाहिए-द्रमुक नेता


चेन्नई। द्रमुक सांसद कनिमोझी (DMK MP Kanimojhi) और अन्य ने मंगलवार को फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो के भाषाई विवाद (Zomato controversy) में फंसने के बाद कंपनियों (Companies) के लिए अपने ग्राहकों (Customers) को उनकी स्थानीय भाषा (Their local language ) में सर्विस (Service) देना अनिवार्य करने की वकालत की है।


द्रमुक सांसद का यह बयान तब सामने आया है, जब जोमैटो के एक कस्टमर केयर एजेंट ने एक ग्राहक शिकायतकर्ता से कहा कि हिंदी ‘राष्ट्रीय भाषा’ है और हर किसी को इसके बारे में थोड़ा-बहुत पता होना चाहिए।कनिमोझी ने लिस्टेड कंपनी जोमैटो का नाम लिए बिना ट्वीट करते हुए कहा, “कुछ कंपनियों का कस्टमर केयर केवल चुनिंदा भाषाओं में ही काम करता है। कंपनियों के लिए अपने ग्राहकों को उनकी स्थानीय भाषा में सेवा देना अनिवार्य किया जाना चाहिए। एक ग्राहक को हिंदी या अंग्रेजी जानने की जरूरत नहीं है।”
दरअसल चेन्नई के एक ग्राहक ने आरोप लगाया है कि उसे हिंदी न जानने के लिए ‘झूठा’ करार दिया गया। ग्राहक का कहना है कि कंपनी में काम करने वाले एक कर्मचारी ने उससे कहा कि उसे हिंदी तो थोड़ी बहुत आनी चाहिए, क्योंकि यह हमारी ‘राष्ट्र भाषा’ है। इस विवाद के बारे में ग्राहक ने ट्वीट किया और कर्मचारी के साथ हुई बातचीत का स्क्रीनशॉट साझा किया। विकास ने अपनी शिकायत में कहा कि उसने जो ऑर्डर दिया, उसमें से एक आइटम नहीं पहुंचा है। जोमैटो के कस्टमर केयर एजेंट के साथ अपनी बातचीत के स्क्रीन शॉट्स पोस्ट करते हुए विकास ने कनिमोझी और अन्य को भी टैग किया था।

जोमैटो के कस्टमर केयर एजेंट, जिन्होंने विकास के साथ विनम्र तरीके से बात की थी, ने कहा कि भाषा को लेकर एक बाधा है। कर्मचारी ने कहा, “आपकी जानकारी के लिए हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है, इसलिए यह बहुत आम है कि हर किसी को थोड़ी सी हिंदी जाननी चाहिए।”
कंपनी के कर्मचारी की ओर से ऐसा जवाब मिलने पर सोशल मीडिया पर कई लोगों ने जोमैटो की जमकर आलोचना की। यही नहीं, कुछ लोगों ने तो ऐप को अनइंस्टॉल करने का दावा भी किया। कुछ लोगों ने द्रमुक पर भी निशाना साधा है और कहा है कि इसके कई नेता हिंदी पढ़ाने वाले स्कूल चलाते हैं।
जोमैटो ने विकास को जवाब देते हुए ट्वीट किया, “हम समझते हैं कि भोजन और भाषा किसी भी स्थानीय संस्कृति के मूल हैं और हम दोनों को गंभीरता से लेते हैं।” हालांकि, जोमैटो ने विकास से माफी मांगते हुए कहा कि उसने उस एजेंट को निकाल दिया है और कहा कि वह एक तमिल ऐप बना रहे हैं और तमिलनाडु के कोयंबटूर में एक तमिल कॉल/सपोर्ट सेंटर स्थापित करने की प्रक्रिया में है। हालांकि बाद में कंपनी ने कहा कि वह उक्त कर्मचारी को नहीं निकाल रहे हैं।

बता दें कि ऑनलाइन फूड डिलिवरी कंपनी ने विवाद बढ़ने के बाद एक स्पष्टीकरण भी जारी किया है। सीईओ दीपिंदर गोयल ने लिखा, “एक खाद्य वितरण कंपनी के एक सहायता केंद्र में किसी की अनजाने में हुई गलती एक राष्ट्रीय मुद्दा बन गई। हमारे देश में सहिष्णुता और ठंडक बरतने का स्तर आजकल की तुलना में कहीं अधिक होना चाहिए। यहां किसे दोषी ठहराया जाए?” सीईओ ने कहा कि हम सभी को एक-दूसरे की खामियों को सहन करना चाहिए और हम एक दूसरे की भाषा और क्षेत्रीय भावनाओं की कद्र करते हैं। गोयल ने यह भी कहा कि कंपनी के कॉल सेंटर एजेंट युवा हैं, जो अपने सीखने की अवस्था और करियर की शुरुआत में हैं। वे भाषाओं और क्षेत्रीय भावनाओं के विशेषज्ञ नहीं हैं।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जोमैटो तमिलनाडु से उतना ही प्यार करता है, जितना वह देश के बाकी हिस्सों से करता है। उन्होंने कहा, “तमिलनाडु – हम आपसे प्यार करते हैं। जितना हम देश के बाकी हिस्सों से प्यार करते हैं। अधिक नहीं, कम नहीं। जितना हम अलग हैं, उतना ही हम सभी एक जैसे हैं।”

गोयल ने कहा कि कंपनी ने ग्राहक सेवा एजेंट को बर्खास्त नहीं किया है। गोयल ने लिखा, “हम एजेंट को बहाल कर रहे हैं – यह अकेले ऐसी चीज नहीं है, जिसके लिए उसे निकाल दिया जाना चाहिए था। वह आसानी से सीख सकती हैं और आगे बढ़ने के बारे में बेहतर कर सकती हैं।”
बता दें कि तमिलनाडु में रहने वाले एक शख्स ने आरोप लगाया कि जोमैटो एक्जीक्यूटिव ने पैसे रिफंड करने के लिए हुई बातचीत में उससे हिंदी सीखने को कहा। स्क्रीनशॉट्स शेयर करते हुए विकास नाम के शख्स ने लिखा “कस्टमर केयर का कहना है कि मेरा रिफंड इसलिए नहीं किया क्योंकि मुझे हिंदी नहीं आती। उसने मुझे झूठा भी करार दे दिया।”

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