भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

कठघरे में EOW: FIR दर्ज की, धाराएं नहीं बताई, दूसरी फर्मों को जांच की धमकी

  • 40 करोड़ की जमीन 13.10 करोड़ में बेचने के मामले में 4 साल बाद केस

भोपाल। मप्र आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने चार साल की पड़ताल के बाद बुधवार को करोड़ों रुपए की स्टाम्प चोरी के आरोप में भोपाल की संस्थान जीव सेवा संस्थान के पदाधिकारी एवं बिल्डर पर केस दर्ज कर लिया है। ईओडब्ल्यू ने जारी प्रेस नोट में केस दर्ज करने की जानकारी दी है, लेकिन किन धाराओं में केस दर्ज किया गया है। इसका खुलासा नहीं किया है। मजेदार बात यह है कि ईओडब्ल्यू ने प्रेस नोट के जरिए यह चेतावनी दी है कि आरोपियों के विदेशी फंड की भी जांच की जाएगी। साथ ही अन्य ट्रस्टों की अनियमितताओं की सूचनाएं पहुंच रही हैं। ऐसे में इस मामले में ईओडब्ल्यू की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं। क्योंकि जांच एजेंसी के पास जब 4 साल से मामला पेंडिंग है तो फिर अभी तक दान में मिले पैसा एवं विदेशी फंड की जांच क्यों नहीं की। ईओडब्ल्यू ने संस्थान जीव सेवा संस्थान के कोषाध्यक्ष हीरो ज्ञानचंदानी, चावला एसोसिएट्स के रोशन चावला और पंजीयन कार्यालय की उप पंजीयक रश्मि सेन समेत जीव सेवा संस्थान के पदाधिकारियों के खिलाफ धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआइआर दर्ज की है।
ईओडब्ल्यू में शिकायत की गई थी कि जीव सेवा संस्थान ने दान में मिले करोड़ों रुपए की राशि से 2001 में हायर सेकेंडरी स्कूल निर्माण के नाम पर एयरपोर्ट मार्ग गोदरमऊ में जमीन खरीदी थी। यह जमीन 28 एकड़ थी। इस जमीन को ट्रस्ट के पदाधिकारियों द्वारा बिल्डर रोशन चावला को महंगे डुप्लेक्स बनाने के लिए सस्ते दाम पर बेचा गया। राष्ट्रीय राजमार्ग 12 के करीब आश्रम को जाने वाली यह जमीन सड़क से लगी हुई है। 28 एकड़ में से 10 एकड़ भूमि को यह कहकर कम दामों पर बेच दिया गया कि इस जमीन तक पहुंचने के लिए रास्ता उपलब्ध नहीं है, जबकि जमीन पर पहुंचने के लिए रास्ता पहले से था। ईओडब्ल्यू ने जांच में पाया गया कि ऐसा करने से करोड़ों रुपये की रजिस्ट्री शुल्क (स्टांप शुल्क) की चोरी की गई। इस दस एकड़ जमीन के लिए बिल्डर रोशन चावला द्वारा जीव सेवा संस्थान को 13.10 करोड़ रुपये चुकाए गए। जबकि कुछ समय बाद ही रेरा को दिए गए दस्तावेज में इस जमीन का मूल्य 40 करोड़ रुपए बताया गया। इस जमीन की पूर्व रजिस्ट्रियों में यहां के लिए मार्ग होने के प्रमाण हैं। साथ ही गूगल मैप में भी मार्ग स्पष्ट देखा जा सकता है। रजिस्ट्री कराने के बाद आरोपित हीरो ज्ञानचंदानी ने बिल्डर को जमीन में बने 60 फीट चौड़े रास्ते का उपयोग नि:शुल्क करने केलिए दे दिया।


राजस्व विभाग ने तथ्य छिपाकर कटवा दिए पेड़
ईओडब्ल्यू की जांच में पाया गया कि राजस्व विभाग ने 2019 में बिल्डर रोशन चावला के पक्ष में की गई रजिस्ट्री में जमीन पर पेड़ लगे होने की जानकारी जानबूझकर छिपाई। जब ईओडब्ल्यू ने राजस्व विभाग से इससे संबंधित तथ्य मांगे गए तो राजस्व विभाग ने रिकार्ड नहीं दिया। मजेदार बात यह है कि ईओडब्ल्यू ने बिल्डर के पक्ष में लेख दिया है कि बिना अनुमति पेड़ काटने पर बिल्डर ने लाखों रुपए का जुर्माना भरा है।

कृषि भूमि थी, जो बाद में आवासीय घोषित हुई
ईओडब्ल्यू की जांच में पाया गया कि यह जमीन पूर्व में कृषि भूमि के रूप में दर्ज थी। 2003 में इस जमीन को शैक्षणिक उपयोग के लिए आवासीय भूमि घोषित की गई। साल में 2020 में इसे आवासीय दिखाया गया। यह प्रक्रिया भी संदिग्ध है।

बिल्डर को क्लीनचिट देने वाले अफसरों पर कार्रवाई क्यों नहीं
ईओडब्ल्यू ने जमीन को खुर्दबुर्द करने वालों पर काफी ना-नकुर के बाद केस तो दर्ज कर लिया है, लेकिन बिल्डर को तथ्यों को छिपाकर बिल्डिंग परमीशन देने वाले विभागों के अफसरों पर कार्रवाई नहीं की है। क्योंकि बिल्डिंग परमीशन देेने से पहले सभी तथ्यों के परीक्षा की जिम्मेदारी विभागों की होती है।

Share:

Next Post

BRTS Corridor हटाने के लिए नेता लामबंद

Thu Apr 28 , 2022
भोपाल। शहर की सड़कों पर फैला बीआरटीएस (बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) कारिडोर का जाल आम जनता के लिए परेशानी पैदा कर रहा है। इन कारिडोर को हटाएंगे। जब तक इन्हें हटाने का काम पूरा नहीं हो जाता, तब तक के लिए बहुत भीड़भाड़ व जरूरत वाले क्षेत्रों में इन्हें पांच-पांच घंटे के लिए खोला जाएगा। […]