नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organization- ISRO) के लिक्विड प्रपल्शन सिस्टम्स सेंटर (Liquid Propulsion Systems Center- LPSC) ने गगनयान परियोजना (Gaganyaan Project) के तहत पहले मानव रहित मिशन (G1) के लिए क्रू मॉड्यूल का सफलतापूर्वक लिक्विड प्रपल्शन सिस्टम के साथ एकीकरण पूरा कर लिया है। 21 जनवरी 2025 को इसे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से रवाना किया गया। गगनयान अंतरिक्ष में मानव मिशन भेजने की क्षमता हासिल करने की दिशा में इसरो का पहला प्रयास है। इसरो गगनयान परियोजना के तहत मानवयुक्त चालक दल को रवाना करने से पहले अंतरिक्ष में एक मानवरहित मिशन भेजने की योजना बना रहा है।
क्रू मॉड्यूल प्रपल्शन सिस्टम का विवरण
इसरो ने एक बयान में कहा, “21 जनवरी 2025 को इसरो के लिक्विड प्रपल्शन सिस्टम्स सेंटर (एलपीएससी) ने लिक्विड प्रपल्शन सिस्टम के एकीकरण को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद गगनयान के पहले मानवरहित मिशन के लिए क्रू मॉड्यूल को अंतरिक्ष रवाना किया।” ISRO के अनुसार, क्रू मॉड्यूल प्रपल्शन सिस्टम (CMPS) एक बाई-प्रोपेलेंट आधारित रिएक्शन कंट्रोल सिस्टम (RCS) है, जिसे क्रू मॉड्यूल के तीन अक्षों – पिच, यॉ और रोल – के सटीक नियंत्रण के लिए डिजाइन किया गया है। यह नियंत्रण सेवा मॉड्यूल के पृथक्करण के बाद से लेकर वायुमंडल में पुनः प्रवेश और पैराशूट आधारित धीमी गति प्रणाली के सक्रिय होने तक जारी रहेगा।
इस सिस्टम में 12 100N थ्रस्टर्स, उच्च दबाव गैस बॉटल्स के साथ प्रेशराइजेशन सिस्टम और प्रोपेलेंट फीड सिस्टम शामिल है। ISRO के अधिकारियों ने बताया कि 100N थ्रस्टर्स छोटे रॉकेट मोटर्स होते हैं, जो अंतरिक्ष यान को प्रपल्शन प्रदान करते हैं।
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र ने CMUS किया डिजाइन
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) द्वारा डिजाइन किया गया क्रू मॉड्यूल अपराइटिंग सिस्टम (CMUS) भी LPSC में क्रू मॉड्यूल में एकीकृत किया गया है। ISRO ने कहा कि क्रू मॉड्यूल अब VSSC में एवियोनिक्स पैकेज असेंबली, इलेक्ट्रिकल हार्नेसिंग और परीक्षण जैसे और एकीकरण कार्यों से गुजरेगा। इसके बाद इसे बेंगलुरु स्थित यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) भेजा जाएगा, जहां ऑर्बिटल मॉड्यूल के अंतिम चरण का एकीकरण किया जाएगा। ISRO की इस उपलब्धि से भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता में एक और कदम आगे बढ़ाया गया है। गगनयान परियोजना का यह पहला मानव रहित मिशन इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य की ओर एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
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