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क्या चरमपंथी नीतियों का अड्डा बन गया है कनाडा?


नई दिल्ली. विदेश मंत्री (foreign Minister) एस जयशंकर (S Jaishankar) ने कहा है कि कनाडा (Canada) के प्रधानमंत्री (PM) जस्टिन ट्रूडो (justin trudeau) अपने बयानों और अपनी हरकतों से भारत के लिए समस्याएं खड़ी कर रहे हैं. कनाडा पर यह आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा है कि कनाडा भारत में घोषित अपराधियों को वीजा दे रहा है. नतीजा यह होता है कि ये फरार अपराधी कनाडा में परस्पर गोलीबारी करते हैं, हत्याएं करते हैं और कनाडा भारत पर इन हत्याओं का दोष मढ़ता है.


हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में कनाडा की रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) द्वारा गिरफ्तार तीन भारतीयों को पकड़े जाने पर प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का बयान था कि कनाडा एक मजबूत न्याय प्रणाली वाला देश है. पिछले कुछ दिनों से यहाँ का सिख समुदाय असुरक्षित महसूस कर रहा है. लेकिन हम कोई लापरवाही चलने नहीं देंगे और सारे अपराधी पकड़े जाएँगे. उनके इन तीखे तेवरों के निशाने पर भारत सरकार थी.

अभी भारत पर आरोप की तस्वीर साफ नहीं
खालिस्तानी अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में तीन मई को RCMP ने करणप्रीत सिंह, कमलप्रीत सिंह और करण बराड़ को पकड़ा है. तीनों में से करण प्रीत 28 साल का है और कमलप्रीत तथा करण बराड़ 22-22 वर्ष के. हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पिछले साल 18 जून को कनाडा के वैंकूवर शहर के निकट सरे के गुरुद्वारे के पास हुई थी. RCMP ने कहा है, हम मालूम कर रहे हैं कि इन तीनों का भारत सरकार की किसी एजेंसी से संबंध है या नहीं. मतलब कनाडाई पुलिस भी प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के इस आरोप से पक्की तौर पर सहमत नहीं है कि निज्जर हत्याकांड में भारत सरकार का हाथ है. RCMP के प्रमुख मनदीप मुकर ने कहा है, कि बिना समुचित जांच के कोई आरोप पुख्ता करना गलत होगा, लेकिन हम इस घटना के सूत्रधारों को जल्दी पकड़ लेंगे.

भारत-कनाडा संबंधों में दरार
दूसरी तरफ जस्टिन ट्रूडो इस बात पर अडिग हैं कि इस हत्याकांड में शक की सुई भारत की ओर है. टोरंटो में सिख विरासत पर हुई एक सभा (खालसा दिवस) में फिर से उन्होंने यह बात दोहराई. मालूम हो कि G20 की दिल्ली बैठक से ओटावा लौटने के एक हफ्ते बाद उन्होंने देश की पार्लियामेंट में 18 सितंबर को कहा था कि निज्जर की हत्या में जांच एजेंसियों को भारत सरकार का हाथ होने का संदेह है, इसलिए पुलिस उस दिशा में तफ्तीश कर रही है. तब भी भारत ने ट्रूडो के बयान पर आपत्ति जताई थी. और कड़ा प्रतिवाद भी किया था. भारत के विदेश मंत्रालय ने फिर ट्रूडो को घेरा है. मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा है कि कनाडा के प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी कनाडा की राजनीति में अलगाववाद, आतंकवाद और हिंसा को दर्शाती है. उन्होंने कहा है, कि प्रधानमंत्री ट्रूडो की ये टिप्पणियाँ भारत-कनाडा संबंधों को प्रभावित करती हैं.

NDP की चरमपंथी नीतियों के शिकार बन गए हैं ट्रूडो
इसमें कोई शक नहीं कि प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के इस तरह के बयान भारत में अलगाववाद को बढ़ावा देते हैं बल्कि कनाडा में बसे भारतीयों के बीच भी तनाव पैदा करते हैं. इससे वहां भारतीयों के ही दो समुदायों के बीच हिंसा को बढ़ावा मिलता है. वे ऐसा इसलिए भी करते हैं क्योंकि उनकी अल्पमत वाली सरकार जिस चरमपंथी पार्टी NDP के बूते चल रही है, उसके 24 सांसद हैं. इस न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के मुखिया जगमीत सिंह खुद ही सिख चरमपंथ को बढ़ावा देते हैं. पिछले चुनाव में 338 सीटों वाली कनाडाई संसद में जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी के 158 सांसद जीते थे. जबकि सरकार बनाने के लिए 170 सांसद चाहिए थे, इसलिए ट्रूडो ने जगमीत सिंह से हाथ मिला लिया. यही कारण है कि ट्रूडो को इस पार्टी के इशारे पर अपना एजेंडा तय करना पड़ता है.

सिखों को असहज कर देने वाली हरकतें
कनाडा और अमेरिका दोनों देशों में लिबरल पार्टियों की सरकारें हैं. कनाडा में लिबरल पार्टी और अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी. दोनों एक ही तरह की आइडियोलॉजी पर चलती हैं. दोनों की सरकारें एशियाई देशों को अपने अर्दब में रखना चाहती हैं. चीन जिस तेजी से आगे बढ़ रहा है, ऐसे में भारत उनके लिए बहु उपयोगी है. भारत की सरकार को साधने के लिए वहां अस्थिरता पैदा करना तथा उस पर लोकतंत्र का विरोधी होने का आरोप लगाना उनके लिए मुफीद है. चूंकि भारत की नरेंद्र मोदी सरकार को हिंदुत्त्ववादी और अल्पसंख्यक विरोधी माना जाता है, इसलिए सिख समुदाय को भारत से असुरक्षा बता देना बहुत सुभीते का काम है. और ऐसा वे कोई आज से नहीं पिछले 40 वर्षों से कर रहे हैं. ट्रूडो इसलिए इस चिंगारी को सुलगाने का काम कर रहे हैं. लेकिन उनकी इस हरकत से भारत के सिख अवश्य दुखी हैं.

चुनाव से डरे हुए हैं ट्रूडो
इन तीनों में से किसी का कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं है. न तीनों झगड़ालू थे न किसी से इनका पंगा था. इसलिए RCMP की गिरफ्तारी पर सब आश्चर्य जता रहे हैं. लेकिन कनाडा और भारत की सरकारें आमने-सामने आ गई हैं. कनाडा के PM ट्रूडो कह रहे हैं, ये तीन लोग ही इस हत्या के मास्टर माइंड नहीं थे. अभी और गिरफ्तारियां होंगी. उधर भारत के विदेश मंत्रालय ने निज्जर हत्याकांड में भारत का हाथ न होने का जवाब दे चुके हैं. हालात इतने विकट हैं, कि अक्सर कनाडा के डिप्टी हाई कमिश्नर को विदेश मंत्रालय तलब करता है. भारत पर हमला बोलने में जस्टिन ट्रूडो कोई मौका नहीं चूकते. वे तथ्यों की पड़ताल भी नहीं करते. इससे उनकी भद पिटती है. अगले वर्ष वहां चुनाव हैं. वे प्रवासियों को अपनी तरफ लाना चाहते हैं. भारतीय प्रवासियों में सिखों की काफी संख्या है. उन्हें लगता है, यह समुदाय उनका वोटर बन जाएगा.

कनाडा अब सेफ नहीं रहा
दूसरी तरफ कनाडा के अंदर कानून व्यवस्था बिगड़ती जा रही है. अभी तक यह हाल था कि अमेरिका (USA) की गन कल्चर से ऊबे लोग जॉब भले अमेरिका में करें पर वे घर कनाडा में बनाते थे. कनाडा की नागरिकता पा जाने के कई लाभ हैं. वहां स्वास्थ्य सरकार के पास है, इसलिए हर व्यक्ति का इलाज फ्री. दूसरे वहां रेसिज्म नहीं है. काले-गोरे सभी वहां चैन से रहते हैं. विश्व में कनाडा सबसे सुरक्षित देश माना जाता है. किंतु जिस तरह से वहां गांजा जैसे नशे को आम कर दिया गया है तथा ट्रूडो की प्रवासियों को लाने की नीति से वहां भी दुनिया भर से अपराधी इकट्ठे हो रहे हैं, उससे हालात पलट गए हैं. ट्रूडो से वहां का कनाडाई समाज बहुत दुखी है. पिछले दिनों कनाडा में टोरंटो के मुख्य राज्य मार्ग फोरो वन (401) में विट्बी के निकट में एक अपराधी द्वारा ग़लत दिशा में गाड़ी दौड़ाने से कई वाहन परस्पर टकरा गए. उसमें 4 भारतीय प्रवासी मारे गए.

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