नई दिल्ली। देश में पेट्रोल-डीजल (Petrol and diesel in the country) के साथ-साथ अब खाद्य पदार्थ भी महंगे होते जा रहे हैं। जिससे आम आदमी के किचन का बजट पूरी तरह से बिगाड़ दिया है।
बता दें कि देश में लगातार बढ़ रहे पेट्रोल-डीजल Petrol and diesel और रसाई गैस के दामों से अब अब खाद्य पदार्थ की वस्तुओं में बेतहाशा बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। खाने-पीने की चीजों की कीमतें अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। ऐसे में भारतीय किचन के अंदर सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाला गेहूं का आटा और उससे बनने वाले प्रोडक्ट की कीमत में भारी उछाल देखने को मिला है। गेहूं के आटे की कीमत पिछले एक दशक के अंदर अपने उच्चतम स्तर पर है। वहीं इस आटे से बनने वाले प्रोडक्ट तो और महंगे हो चुके हैं।
पिछले साल के मुकाबले आटे की कीमत करीब 13 फीसदी बढ़ गई है। खुदरा बाजार में अब आटे की अधिकतम कीमत 59 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है। खुदरा बाजारों में गेहूं के आटे की औसत कीमत सोमवार को 32.91 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में लगभग 13 प्रतिशत अधिक है। सरकारी आंकड़ों में यह बताया गया है।
बता दें कि 8 मई, 2021 को गेहूं के आटे का अखिल भारतीय औसत खुदरा मूल्य 29.14 रुपये प्रति किलोग्राम था. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों से पता चला है कि सोमवार को आटे की अधिकतम कीमत 59 रुपये प्रति किलो, न्यूनतम कीमत 22 रुपये प्रति किलो और मानक कीमत 28 रुपये प्रति किलो थी. आठ मई, 2021 को अधिकतम कीमत 52 रुपये प्रति किलो, न्यूनतम कीमत 21 रुपये प्रति किलो और मानक कीमत 24 रुपये प्रति किलो थी. सोमवार को मुंबई में आटे की कीमत 49 रुपये किलो, चेन्नई में 34 रुपये किलो, कोलकाता में 29 रुपये किलो और दिल्ली में 27 रुपये किलो थी।
मंत्रालय 22 आवश्यक वस्तुओं – चावल, गेहूं, आटा, चना दाल, अरहर (अरहर) दाल, उड़द दाल, मूंग दाल, मसूर दाल, चीनी, गुड़, मूंगफली तेल, सरसों का तेल, वनस्पति, सूरजमुखी तेल, सोया तेल, पाम तेल, चाय, दूध, आलू, प्याज, टमाटर और नमक की कीमतों की निगरानी करता है। इन वस्तुओं की कीमतों के आंकड़े देशभर में फैले 167 बाजार केंद्रों से एकत्र किए जाते हैं।
इस बीच, गर्मियां जल्दी आने से फसल उत्पादकता प्रभावित होने के कारण सरकार ने जून में समाप्त होने वाले फसल वर्ष 2021-22 में गेहूं उत्पादन के अनुमान को 5.7 प्रतिशत से घटाकर 10.5 करोड़ टन कर दिया है, जो पहले 11 करोड़ 13.2 लाख टन था. फसल वर्ष 2020-21 (जुलाई-जून) में भारत में गेहूं उत्पादन 10 करोड़ 95.9 लाख टन रहा था।
इस संबंध में खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने पिछले सप्ताह कहा था कि उच्च निर्यात और उत्पादन में संभावित गिरावट के बीच चालू रबी विपणन वर्ष में केंद्र की गेहूं खरीद आधे से कम रहकर 1.95 करोड़ टन रहने की संभावना है। इससे पहले, सरकार ने विपणन वर्ष 2022-23 के लिए गेहूं खरीद लक्ष्य 4.44 करोड़ टन निर्धारित किया था, जबकि पिछले विपणन वर्ष में यह लक्ष्य 43 करोड़ 34.4 लाख टन था। रबी विपणन सत्र अप्रैल से मार्च तक चलता है लेकिन थोक खरीद जून तक समाप्त हो जाती है।