नई दिल्ली। मणिपुर में चल रही शांति वार्ता (Manipur peace talks) एक बार फिर रुकावट का शिकार हो गई है। कुकी समुदाय (Cookie Community) ने अपनी मांग को दोहराते हुए कहा है कि जब तक उनकी ‘अलग पहाड़ी राज्य’ (Separate Hill State) या संघ राज्य क्षेत्र की मांग पूरी नहीं होगी, तब तक वे किसी भी समझौते को स्वीकार नहीं करेंगे। यह मांग केंद्र सरकार के लिए एक बड़ा चुनौती बन गई है।
पिछले कुछ दिनों में स्थिति तब और तनावपूर्ण हो गई, जब केंद्र ने 8 मार्च से राज्य में सभी के लिए स्वतंत्र आवाजाही सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया था। इसके बाद कुकी समुदाय के प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाबलों पर हमला किया। इस दौरान एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई और कई घायल हो गए। कुकी नेताओं का कहना है कि मेइती समुदाय के साथ सह-अस्तित्व अब संभव नहीं है और उनकी मांग पूरी होने तक वे सड़कों पर उतरते रहेंगे।
अलग प्रशासनिक व्यवस्था पर सरकार की अनिच्छा
सरकार कूकी-बहुल पहाड़ी इलाकों के लिए अलग प्रशासनिक व्यवस्था की मांग पर भी सहमति देने के मूड में नहीं दिख रही, क्योंकि इससे अलग राज्य की मांग को और बल मिल सकता है। इसके अलावा, यह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस सीमावर्ती राज्य में अलगाववादी प्रवृत्तियों को भी प्रोत्साहित कर सकता है।
इसके बावजूद, केंद्र सरकार दोनों समुदायों (मेइती और कूकी) से संवाद जारी रखने के पक्ष में है। सरकार कूकी-जो समुदाय को संविधान के दायरे में ही किसी समाधान पर सहमत करने का प्रयास कर रही है, जिसमें उन्हें अधिक स्वायत्तता देना और उनकी विशिष्ट संस्कृति, विरासत और भाषा को संरक्षित करना शामिल हो सकता है।
स्थानीय प्रशासन का विरोध प्रदर्शन समाप्त करने का प्रयास
सूत्रों के अनुसार, कांगपोकपी के जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक पिछले कुछ दिनों से कूकी-जो प्रदर्शनकारियों से बातचीत कर रहे थे, ताकि वे मारे गए युवक का शव स्वीकार कर अंतिम संस्कार कर सकें। 8 मार्च को हुए संघर्ष के दौरान युवक की मौत के बाद कूकी-जो प्रदर्शनकारियों ने बंद बुलाया था और सड़कों को ब्लॉक कर दिया था।
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