नई दिल्ली। कोरोना महामारी (Corona Pandemic) को लेकर अब तक ये आम धारणा रही है कि बच्चों (Children) के जरिए इसका प्रसार कम होता है. यही कारण है कि बच्चों (Children) में इस महामारी का प्रभाव (impact of pandemic) जानने के लिए दुनियाभर में रिसर्च की जा रही हैं. अब एक नई रिसर्च में खुलासा (Revealed in new research) हुआ है कि बड़े लोगों की तरह बच्चे भी कोरोना वायरस(Corona virus) का वाहक हो सकते हैं. स्टडी कहती है कि कोरोना के वाहक के तौर पर बच्चे और बड़े सभी एक समान है.
इस रिसर्च में जोर दिया गया है कि अगर कोरोना महामारी (Corona Pandemic) को हराना है तो बच्चों पर विशेष ध्यान देना होगा. ये स्टडी मेसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल, रागोन युनिवर्सिटी, एमआईटी और हावर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की टीम ने की है. ये स्टडी 110 बच्चों पर की गई जिनमें 2 सप्ताह से लेकर 21 वर्ष तक के युवा शामिल हैं. स्टडी में शामिल सभी को कोरोना हो चुका था.
इस स्टडी के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि महामारी के फैलाव से उम्र का कोई लेना-देना नहीं है. यानी संक्रमित होने के बाद एक छोटा बच्चा भी वैसे ही वायरस का प्रसार कर सकता है जैसे एक उम्रदराज व्यक्ति. शोधकर्ताओं की टीम का हिस्सा डॉ. लायल योन्कर का कहना है-बच्चे न सिर्फ वायरस का प्रसार कर सकते हैं बल्कि अन्य लोगों को संक्रमित भी कर सकते हैं.
इस रिसर्च में यह भी सामने आया है कि बच्चों में कोरोना का वायरल लोड ज्यादा होने और बीमारी के गंभीर होने में भी कोई संबंध नहीं है. लेकिन फिर भी बच्चों में कोरोना चिंता का सबब है. बच्चे अगर एसिंप्टोमेटिक हैं तो भी महामारी के वाहक हो सकते हैं, साथ ही कोरोना के नए वैरिएंट्स बच्चों के शरीर में जगह बना सकते हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि नए वैरिएंट्स बच्चों में ज्यादा घातक साबित हो सकते हैं. ऐसा डेल्टा वैरिएंट के केस में देखा गया है. Share: