इंदौर न्यूज़ (Indore News)

70 हजार एकड़ के इंदौरी रिसीविंग एरिया में जीरो आपत्ति के साथ अब गेंद शासन पाले में

मामला टीडीआर पॉलिसी लागू करने का, नगर तथा ग्राम निवेश को मिली थी मात्र 5 आपत्तियां, समझाइश के बाद सभी ने वापस भी ले ली, अब टीओडी की प्रक्रिया भी है जारी

इंदौर। पिछले दिनों इंदौर के लिए टीडीआर पॉलिसी (TDR Policy) घोषित की गई, जिसमें रिसीविंग झोन के लिए सम्पूर्ण नगर निगम (Nagar Nigam) क्षेत्र को माना गया। 281 वर्ग किलोमीटर का एरिया, जो कि लगभग 70 हजार एकड़ होता है उसे रिसीविंग झोन केन रूप में मान्य किया गया और गजट नोटिफिकेशन के बाद दावे-आपत्तियों की प्रक्रियासंयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश द्वारा शुरू की गई। हालांकि इस दौरान मात्र 5 आपत्तियां ही मिली। मगर समझाइश के बाद वे भी वापस ले ली गई। नतीजतन जीरो आपत्तियों के साथ अब शासन को मंजूरी के लिए भेज दिया है। संयुक्त संचालक सुशोभन बनर्जी (Joint Director Sushobhan Banerjee) का कहना है कि आपत्तिकर्ता जमीन मालिकों को कुछ भ्रम था, जो दूर करवा दिया गया। वहीं अब मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए टीओडी पॉलिसी के लिए भी दावे-आपत्ति की प्रक्रिया चल रही है।


शासन ने इंदौर में सडक़ों और अन्य प्रोजेक्टों के लिए जो निजी जमीनें ली जाती है उसके बदले नकद मुआवजा तो चूंकि दिया नहीं जा सकता, लिहाजा टीडीआर पॉलिसी के तहत सर्टिफिकेट देना तय किया, जिससे जमीन मालिक अतिरिक्त एफएआर का इस्तेमाल अपने भविष्य के निर्माण में कर सकें अथवा उसे बेच भी दे। मगर ये टीडीआर सर्टिफिकेट किन क्षेत्रों में इस्तेमाल होंगे और उसकी प्रक्रिया-गाइडलाइन क्या होगी, इसका निर्धारण शासन द्वारा किया जाना है। पिछले दिनों इंदौर नगर निगम के सम्पूर्ण क्षेत्रफल को रिसीविंग एरिया के रूप में मान्य किया गया। यानी इसका मतलब यह हुआ कि जो टीडीआर सर्टिफिकेट है, उसका इस्तेमाल सम्पूर्ण निगम क्षेत्र में किया जा सकेगा और 281 वर्ग किलोमीटर का एरिया यानी लगभग 70 हजार एकड़ इसमें शामिल है। लिहाजा इसके लिए गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया और 15 दिन दावे-आपत्तियां आमंत्रित की गई, जो कि पिछले दिनों पूर्ण की गई। नगर तथा ग्राम निवेश को 5 जमीन मालिकों ने आपत्तियां प्रस्तुत की थी। दरअसल उन्हें यह लगा कि उनकी जमीन ली जाएगी। जब उन्हें समझाया गया कि जमीन लेना नहीं है, बल्कि अगर सडक़ चौड़ाई या अन्य कार्य के लिए अधिग्रहित की जाती है तो उसके बदले टीडीआर सर्टिफिकेट मिलेगा। उल्लेखनीय है कि बीआरटीएस कॉरिडोर सहित नगर निगम ने मध्य क्षेत्र में जो सडक़ें चौड़ी कीं और बड़ी संख्या में दुकानों-मकानों को तोड़ा, उसके एवज में नकद मुआवजा तो किसी को नहीं मिला, अलबत्ता टीडीआर सर्टिफिकेट अवश्य दिए गए। अब रिसीविंग एरिया की प्रक्रिया पूरी होने के बाद इन सर्टिफिकेटों का इस्तेमाल किया जा सकेगा। नगर तथा ग्राम निवेश ने जीरो आपत्ति के साथ अब टीडीआर पॉलिसी को मंजूरी के लिए शासन के हवाले कर दिया है। अब देखना यह है कि शासन कितने दिन में इसे अमल में लाने के आदेश जारी करता है। मेट्रो बीआरटीएस के दोनों तरफ 500-500 मीटर में वर्टिकल डवलपमेंट के लिए यह पॉलिसी लाई जाएगी और इसमें भी जो निजी जमीनें ली जाएंगी उसके बदले टीओडी का फायदा मिलेगा। अभी इसमें दावे-आपत्तियों की प्रक्रिया चल रही है।

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