भोपाल: अब आदिवासी वर्ग (tribal class) को साध साधने वाली मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार (BJP government of Madhya Pradesh) अब अनुसूचित जाति वर्ग (Scheduled Castes) को साधने जा रही है. इसके लिए मध्य प्रदेश में संत रविदास मंदिर निर्माण यात्रा (Sant Ravidas Temple Construction Tour) निकाली जाएगी. यात्रा की शुरुआत 25 जुलाई से होगी, जो 12 अगस्त को सागर पहुंचेगी. यह यात्रा प्रदेश के 50 जिलों से होकर गुजरेगी. बता दें संत रविदास मंदिर निर्माण यात्रा 25 जुलाई को प्रदेश में पांच स्थान से निकलेगी.
यात्रा नीमच, मांडव, सिंगरौली, बालाघाट और श्योपुर से निकलेगी और 12 अगस्त को सागर पहुेंचगी. यात्रा के प्रभारी और सह प्रभारी नियुक्त कर दिए गए हैं. यात्रा प्रदेश के 50 जिलों से होकर गुजरेगी. यात्रा में संत रविदास जी का चित्र, पादुका एवं कलश रहेगा, जिनका पूजन भी होगा. रथ पर सामाजिक समरसता की सूक्तियां भी उल्लेखित रहेगी.
यात्रा में संत रविदास मंदिर निर्माण के लिए एक मुठ्ठी मिट्टी और नदियों का जल एकत्रित किया जाएगा. राज्य सरकार द्वारा यात्रा की व्यवस्थाओं और संचालन के लिए कमेटी बनाई गई है. जिला स्तर पर प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में आयोजन समिति द्वारा व्यवस्थाएं की जाएगी. उल्लेखनीय है कि सागर जिले में बढ़तुमा में संत रविदास जी के मंदिर का निर्माण होना है.
संत रविदास को केन्द्र में रखकर प्रदेश भर के 53 हजार गांवों में यात्रा निकाली जाएगी. यात्रा का उद्देश्य गांव में दलित वर्ग के 10 से 12 लाख लोगों तक पहुंचना है. इस यात्रा की तैयारी में बीजेपी का अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ जुटा हुआ है. यात्रा का समापन सागर में होगा. समापन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह आ सकते हैं.
संत रविदास जयंती पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंदिर निर्माण की घोषणा की थी. इसके लिए 100 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है. मंदिर का भूमिपूजन भी अगस्त माह में किया जाएगा. इस भूमिपूजन कार्यक्रम में बीजेपी के कई बड़े नेता और अनुसूचित जाति वर्ग से ताल्लुक रखने वाले नेता शामिल होंगे.
15 फीसदी मतदाता हैं अनुसूचिज जाति वर्ग के मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति वर्ग के लगभग 15 फीसदी मतदाता हैं और कुल 230 विधानसभा सीट में से 35 सीटें अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं, वहीं 20 सीट से भी अधिक पर अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाता अपना दखल रखते हैं. यही वजह है कि अब आदिवासी वर्ग के बाद बीजेपी अनुसूचित जाति वर्ग को टारगेट कर रही है.
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