इंदौर न्यूज़ (Indore News) देश मध्‍यप्रदेश

निगम अफसर ही निकला 107 करोड़ के महाघोटाले का मास्टरमाइंड

  • अग्निबाण द्वारा उजागर फर्जी बिल घोटाले से जुड़े अधिकांश तथ्य सही साबित
  • ठेकेदारों की गिरफ्तारी के बाद अब निगम के चर्चित घोटाले की सारी परतें खुलने लगीं
  • फर्जी साइन के जरिए बनाईं फाइलें, पुलिस अब करोड़ों के लेन-देन के सबूत भी जुटाएगी

इंदौर, राजेश ज्वेल. चुनावी (Election) उठाउठक के बीच नगर निगम (municipal corporation) का फर्जी बिल घोटाला (fake bill scam) भी मीडिया (Media) की सुर्खियों में है। अग्रिबाण (Agniban) लगातार 107 करोड़ रुपए के इस घोटाले में तथ्यों का खुलासा करता रहा, जिनमें से अधिकांश पुलिसिया जांच में सही भी साबित हुए। कल रात पुलिस ने दो ठेकेदारों वडेरा दम्पती को भी गिरफ्तार कर लिया, तो दूसरी तरफ निगम का अफसर ही इस घोटाले का मास्टरमाइंड निकला, जिसके चलते कार्यपालन यंत्री अभय राठौर को भी पुलिस ने इस महाघोटाले का आरोपी बना लिया है। हालांकि राठौर फरार हो गया। दूसरी तरफ डाटा एंट्री ऑपरेटर और एक सब इंजीनियर को भी आरोपी बनाते हुए पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। अब करोड़ों के लेन-देन के सबूत पुलिस जुटाएगी। निगम से जो 79 करोड़ का भुगतान इन ठेकेदारों को मिला उसका बंटवारा किस तरह हुआ उसकी मनीट्रेल पता लगाई जाएगी।


निगम ने इस घोटाले की एफआईआर एमजी रोड थाने पर दर्ज करवाई थी, जिसमें 5 फर्मों के कर्ताधर्ता लिप्त बताए गए। पुलिस ने न्यू कंस्ट्रक्शन, किंग कंस्ट्रक्शन और ग्रीन कंस्ट्रक्शन के साथ क्षितिज तथा जाह्नवी इंटरप्राइजेस की 28 करोड़ की फाइलों को बोगस बताते हुए ये एफआईआर दर्ज करवाई, जिसके चलते इन ठेकेदार फर्मों के कर्ताधर्ता मोहम्मद सिद्दीकी, साजिद, जाकिर और राहुल वडेरा, रेणु वडेरा के खिलाफ भ्रष्टाचार सहित कूटरचित दस्तावेजों को तैयार करने की धाराओं में एफआईआर दर्ज की। शुरुआत में जाकिर और साजिद दो ठेकेदार पुलिस के हत्थे चढ़े। इसके बाद उनसे मिली जानकारी के आधार पर विजय नगर झोन के डाटा एंट्री ऑपरेटर चैतन भदौरिया और झोन 11 के सब इंजीनियर उदय भदौरिया को भी आरोपी बनाया और उनकी भी गिरफ्तारी कर ली गई। वहीं डीसीपी झोन-3, पंकज पांडे ने बताया कि कल रात को क्षीतिज और जाह्नवी इंटरप्राइजेस के ठेकेदार राहुल वडेरा और उनकी पत्नी रेणु वडेरा को भी गिरफ्तार कर लिया, जिन्होंने शुरुआती पूछताछ में यह तो स्वीकार किया कि फर्जी साइन के जरिए ये फाइलें तैयार की गई और इसमें निगम के ही अफसर-कर्मचारी मददगार रहे। वहीं जो करोड़ों रुपए का भुगतान मिला उसमें से भी बड़ा यानी लगभग 50 फीसदी तक हिस्सा बांटा गया। एमजी रोड थाना प्रभारी विजयसिंह सिसोदिया ने बताया कि वडेरा दम्पती को आज कोर्ट में पेश कर रिमांड मांगा जाएगा। वहीं पूर्व में गिरफ्तार आरोपियों का 5 दिन का रिमांड मिला है, जिसमें उनसे पूछताछ की जा रही है। उल्लेखनीय है कि पुलिस ने एक दर्जन से अधिक असल फाइलें भी 21 करोड़ रुपए की जब्त कर ली थी, तो दूसरी तरफ निगम आयुक्त ने भी जांच कमेटी बना रखी है, जिसको लेखा शाखा से 188 फाइलें मिली हैं, जो कि इन पांचों फर्मों से संबंधित हैं और उसमें कुल 107 करोड़ रुपए के फर्जी बिल लगाए गए हैं। हालांकि निगम का कहना है कि इनमें से कुछ काम हुए भी हैं। वहीं सर्वाधिक 102 करोड़ रुपए की 178 फाइलें ड्रैनेज विभाग से ही संबंधित हैं। इन पांचों ठेकेदार फर्मों को लगभग 80 करोड़ रुपए का भुगतान निगम से मिल गया है। अब इस करोड़ों रुपए की राशि का बंटवारा किस तरह किया गया उसका खुलासा मनी ट्रेल के जरिए पुलिस करने में जुटी है। गिरफ्तार ठेकेदारों ने यह तो स्वीकार कर लिया कि फर्जी फाइलें तैयार की गई और उनमें अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर किए गए। हालांकि पुलिस इन हस्ताक्षरों की सत्यता की जांच भी कर रही है। दूसरी तरफ इन ठेकेदार फर्मों के खातों में नगर निगम द्वारा जो राशि जमा कराई जाती थी उसे तत्काल निकाल लिया जाता था और 50 फीसदी तक कमीशन फर्जी बिल भुगतान के एवज में बांटा गया है। पुलिस ने अभय राठौर को सआरोपी बनाया है। मगर भनक पड़ते ही वह फरार भी हो गया।

निगमायुक्त बोले – घोटाले में लिप्त दोषियों पर भी होगी विभागीय कार्रवाई
निगमायुक्त शिवम वर्मा का कहना है कि पुलिस अपनी जांच तो कर ही रही है, वहीं इस पूरे मामले की विभागीय जांच भी सख्ती से की जा रही है, ताकि कौन अधिकारी और कर्मचारी इसमें लिप्त रहे उसका पता लगाया जा सके। आयुक्त ने पहले से ही जांच कमेटी भी बना दी है। अपर आयुक्त सिद्धार्थ जैन की अध्यक्षता वाली यह कमेटी आज-कल में अपनी रिपोर्ट तैयार कर दे देगी। जब आयुक्त से यह पूछा गया कि कार्यपालन यंत्री अभय राठौर को भी पुलिस ने सआरोपी बना लिया है, तो निगम उनके खिलाफ क्या कार्रवाई करेगा? इस पर आयुक्त श्री वर्मा ने कहा कि ड्रैनेज सहित अन्य मामलों की जांच की जा रही है और यह भी पता चला कि अभय राठौर पूर्व में पाइप लाइन, बोरिंग, यातायात, तालाब गहरीकरण से लेकर कई अन्य मामलों में भी लिप्त रहे हैं। उसके साथ ही ऑडिटर और अन्य की भूमिका भी देखी जा रही है। अभी तक 188 फाइलें इन पांचों फर्मों की जांच के दायरे में ली गई है, जिसमें यह भी पता लगाया जा रहा है कि इनमें से कितनी फाइलों में काम हुए और बाकी फाइलें बोगस है। निगम अपनी विभागीय जांच में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा।

फरार होने से पहले वडेरा दम्पति ने खाली भूखंड पर छिपाई अपनी महंगी फॉच्र्युनर गाड़ी, पुलिस आज जब्ती में लेगी

पुलिस ने कल रात क्षीतिज और जाह्नवी इंटरप्राइजेस के कर्ताधर्ता वडेरा दम्पती को भी गिरफ्तार कर लिया, जो कि इस पूरे निगम घोटाले के सबसे बड़े और प्रमुख ठेकेदार बताए गए हैं। निपानिया स्थित अपोलो डीबी सिटी अपटाउन में राहुल और रेणु वडेरा के आलीशान बंगले का खुलासा अग्रिबाण ने ही किया, उसके पश्चात पुलिस ने बंगले पर छापा मारकर कुछ दस्तावेज, रजिस्ट्री, पासपोर्ट, बैंक पासबुक सहित अन्य सामग्री जब्त की। बंगले के बाहर खड़ी दो गाडिय़ों को भी कब्जे में लिया। मगर कल पता चला कि वडेरा दम्पति ने फरार होने से पहले अपने आलीशान बंगले से थोड़ी दूर अपटाउन के ही एक खाली भूखंड डी-20 पर अपनी एक और लग्जरी गाड़ी टोयोटो फॉच्र्युनर भी छुपाकर खड़ी कर दी। इस गाड़ी का नम्बर एमपी 09 सीझेड 6000 है और इसका रजिस्ट्रेशन रेणु वडेरा के नाम पर ही आरटीओ रिकॉर्ड से पता चला डीसीपी पंकज पांडे का कहना है कि इस गाड़ी को भी आज जब्ती में ले लिया जाएगा।

इंदौर आए मुख्यमंत्री से महापौर ने भी की उच्च स्तरीय जांच की मांग

कल रात मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भाजपा कार्यालय पहुंचे और कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम का भाजपा में प्रवेश कराया। उस दौरान महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने मुख्यमंत्री से निगम के इस चर्चित महाघोटाले पर भी चर्चा की और अनुरोध किया कि इसके लिए उच्च स्तरीय अधिकारियों की टीम बनाकर जांच की जाए, क्योंकि यह पता लगना चाहिए कि किन-किन अधिकारियों के संरक्षण में इतने वर्षों तक यह घोटाला चलता रहा। फर्जी फाइलें बनी, फर्जी बिल तैयार हुए और उनके जरिए करोड़ों रुपए का भुगतान भी हासिल किया जाता रहा। महापौर का कहना है कि सिर्फ इन पांच ठेकेदारों तक ही यह जांच सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इस तरह की गड़बडिय़ां अन्य फर्मों द्वारा भी संभव है। लिहाजा सभी विभागों में विगत वर्षों में हुए कार्यों की जांच जरूरी है। अभी तो सिर्फ ड्रैनेज विभाग से संबंधित ही 178 फाइलें जांच के दायरे में ली गई हैं, जबकि ड्रैनेज, यातायात, गार्डन, जनकार्य सहित अन्य विभागों में भी विगत वर्षों में जितने भी काम हुए हैं, जिनमें नाला टेपिंग से लेकर अन्य करोड़ों के काम हैं, उनकी भी जांच-पड़ताल जरूरी है। एक तरफ हम वास्तविक ठेकेदारों को भुगतान नहीं कर पा रहे हैं, दूसरी तरफ फर्जी बिल बनाकर करोड़ों रुपए हासिल कर लिए गए और यह पूरा मामला बिना अफसरों, कर्मचारियों की सांठगांठ के संभव ही नहीं है। महापौर का कहना है कि वे इस मामले की तह तक पहुंचेंगे।

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