पटना. पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) से एक वीडियो वायरल हुआ है. इस वीडियो में जज और वकील की दिलचस्प बहस है. जज वकील के आवेदन को महज इसलिए रिजेक्ट(Reject) कर देते हैं, क्योंकि वह हिंदी भाषा में दिया हुआ है. वकील उन्हें समझाने की बहुत कोशिश करते हैं. यहां तक कि आजादी के पहले तक का हवाला देते हैं, लेकिन जज नहीं सुनते और वकील निराश हो जाते हैं. इस दौरान कई वकील इस बहस को बड़ी लगन से सुन रहे होते हैं. सोशल मीडिया (social media) पर वायरल इस वीडियो को अब लोग खूब शेयर कर रहे हैं.
वीडियो में जज कहते हैं- ‘आप हिंदी में पढ़ रहे हैं, क्या आपको लगता है मैं समझ रहा हूं. आप क्यों जबरदस्ती पढ़ रहे हैं.’ वकील- ‘वही जो किताब हमने हुजूर को दिया है, उसका हिंदी अनुवाद प्रकाशित हुआ है.’ वकील फिर हिदी में बोलने लगते हैं, तो जज फिर कहते हैं- ‘आप फिर हिंदी में बोलने लगे. ये मेरी समझ में नहीं आ रहा.’ इस पर वकील कहते हैं- ‘हुजूर यही तो रोना है हम भी अंग्रेजी नहीं समझ सकते.’ थोड़ी बहुत कहासुनी के बाद जब जज सुनवाई में आनाकानी करने लगते हैं तो वकील कहते हैं- ‘बिना सुने हुए आगे बढ़ने का नियम नहीं है. पहले सुन करके हुजूर को आगे बढ़ना है. यहां आज से हिंदी में काम नहीं हो रहा. आज भी पटना हाई कोर्ट में सब न्यायमूर्ति सुन रहे हैं.’
वकील ने दिया ये तर्क
वकील कहते हैं- ‘अब हुजूर कह रहे हैं कि हिंदी अनुवाद आप ही कीजिए. हम तो कह रहे हैं कि अनुवादक विभाग (translator’s department) से मांग लिया जाए. अनुवादक यहां आजादी के पहले से है. उनको तो तंखा मिलती है उमसें आधा हमारा हिस्सा है. तो उससे मांगने में हुजूर को क्या जाता है. ये तो न्यायसंगत बात हम बोल रहे हैं. हम अंग्रेजी नहीं जानते हैं हमसे अंग्रेजी अनुवाद (English translation) मांग रहे हैं.’
जज ने रिजेक्ट कर दिया आवेदन
थोड़ी बहुत ना-नुकुर के बीच वकील तथ्य पेश करते हैं और कहते हैं पटना हाई कोर्ट में हिंदी में आवेदन दाखिल करने में कोई अड़चन नहीं है. न ही हिंदी में तर्क रखने में कोई अड़चन है और वस्तुतः इस न्यायालय के द्वारा कई मामलों में स्वीकार किया गया है. लेकिन, जज उनकी बात नहीं सुनते और उनका आवेदन रिजेक्ट कर देते हैं.