भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

अधिक पानी के उपयोग पर आधारित जीवन शैली में बदलाव की आवश्यकतात्न: मुख्यमंत्री

  • कहा तीसरी फसल लेने से उत्पादन बढ़ा, लेकिन जल की उपलब्धता हो रही है प्रभावित

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश जल उपयोग के लिए पूर्णत: सजग है। वर्ष 2003 के बाद प्रदेश में पानी रोक कर सिंचाई क्षमता में वृद्धि की गई है। प्रदेश में सिंचाई क्षमता साढ़े सात लाख हेक्टेयर से बढ़ कर 42 लाख हेक्टेयऱ तक पहुँच गई है। हम कम पानी में अधिक और प्रभावी सिंचाई व्यवस्था के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके लिए केनाल सिस्टम के स्थान पर प्रेशर पाईप से सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। उद्देश्य अधिक से अधिक पानी बचाना है। मुख्यमंत्री चौहान मध्यप्रदेश राज्य जल नीति-2022 पर मंत्रालय में हुई जल विशेषज्ञों और बुद्धिजीवियों की संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेशवासियों को शुद्ध पेयजल सरलता से उपलब्ध हो। इस उद्देश्य से जल जीवन मिशन गाँव-गाँव में क्रियान्वित किया जा रहा है। भू-जल स्तर बढ़ाने के लिए जलाभिषेक अभियान में विभिन्न गतिविधियाँ संचालित की गई। मुख्यमंत्री ने कहा है कि क्रॉप पेटर्न अब बदल रहा है। खेती में तीसरी फसल लेने की व्यवस्था ने प्रवेश कर लिया है। यह फसल प्राय: गर्मी के दिनों में ली जा रही है, जो भू-जल पर आधारित है। इससे उत्पादन तो बढ़ रहा है पर भू-जल स्तर निरंतर नीचे जा रहा है। अधिक सिंचाई वाली फसलों के कारण नदियाँ भी दम तोड़ रही हैं। इन मुद्दों पर विचार आवश्यक है। उद्योगों में भी पानी की मांग निरंतर बढ़ रही हैं। भविष्य में पानी की उपलब्धता और मांग को देखते हुए रणनीति बनाना आवश्यक है। पीने का पानी आज भी बहुत से ग्रामों और बसाहटों में बड़ी समस्या है। भविष्य में पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करना बढ़ी चुनौती होगी। नदियों के पुनर्जीवन के लिए जन-सामान्य की संवेदनशीलता को जागृत करते हुए कार्य-योजना बनाना और उसका क्रियान्वयन आवश्यक है।


पानी को रिसाइकल कर उपयोग में लें
मुख्यमंत्री ने कहा कि परिस्थितियों को देखते हुए अधिक पानी के उपयोग पर आधारित जीवन शैली में बदलाव की आवश्यकता है। पानी को रि-साईकल कर उसे उपयोग में लेने, कम पानी के उपयोग से गतिविधियाँ संचालित करने की पद्धतियों को रोजमरऱ्ा के जीवन में अपनाना होगा। हमें आने वाली पीढ़ी के लिए धरती इस स्वरूप में छोडऩा है, जिससे भावी पीढ़ी भी धरती पर खुशहाल जीवन व्यतीत कर सके। हमें इन चिंताओं को ध्यान में रख कर जल नीति बनाना होगी। नीति ऐसी बने जिसे जनता के साथ मिल कर क्रियान्वित किया जा सके।

Share:

Next Post

चुनरी यात्रा में उमड़ा आस्था का सैलाब, हजारों की संख्या में पहुंची महिला श्रद्धालु

Sat Oct 1 , 2022
चार किलोमीटर की यात्रा सात घंटे में पूरी की पचास से अधिक संगठनों ने किया चुनरी यात्रा का जगह जगह स्वागत सीहोर। हर साल की तरह इस साल भी हिंद रक्षक युवा समिति के तत्वाधान में भव्य चुनरी यात्रा निकली। मां नवदुर्गा के उपासना पर्व नवरात्रि में विशाल चुनरी यात्रा शहर के प्राचीन करोली माता […]