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तिब्बती नववर्ष ‘लोसर’ शुरू, दलाई लामा मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना

धर्मशाला (Dharmashaala)। तिब्बती नववर्ष (Tibetan New Year) ‘लोसर’ (Losar) की मंगलवार से शुरूआत हो गई। लोसर के पहले दिन निर्वासित तिब्बती संसद (Tibetan Parliament in Exile) के प्रतिनिधियों ने मैकलोड़गंज स्थित चुगलाखंग बौद्ध (Chuglakhang Buddhist) मठ यानि दलाई लामा मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की।


इस अवसर पर निर्वासित तिब्बती संसद स्पीकर खेंपो सोनम टेनफेल, डिप्टी स्पीकर डोलमा सेरिंग, सुरक्षा मंत्री ग्यारी डोलमा, सूचना और अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग-सीटीए के मंत्री नोरजिन डोलमा, तिब्बती सांसद, महालेखापरीक्षक आर्य पेमा दादुल, कैबिनेट सचिव सेग्याल चुक्य द्रैन्यी और नामग्याल मठ के भिक्षुओं के साथ सीटीए कर्मचारी मौजूद रहे। इस दौरान धर्मगुरू दलाई लामा के वस्त्रों के समक्ष सभी ने पूजा अर्चना कर उनका आर्शीवाद लिया। इस दौरान धर्मगुरू दलाई लामा की लंबी आयु के लिए भी प्रार्थना की गई।लोसर का आगाज एक प्रार्थना सभा के साथ शुरू हुआ, जिसके बाद केंद्रीय तिब्बती प्रशासन सीटीए के तीन स्तंभों के सिरों से परम पावन दलाई लामा के सिंहासन के समक्ष तिब्बती समुदाय के लिए प्रार्थना की गई।गौरतलब है कि इस बार लोसर 2150 को वाटर-रैबिट के तौर पर घोषित किया गया है। भारत और विदेशों में रह रहे तिब्बती समुदाय के लोगों ने पूरे जोश के साथ लोसर को लेकर तैयारियां की हैं। समुदाय के लोग पारंपरिक तिब्बती नव वर्ष-लोसर 2150 की एक दूसरे को बधाईयां देते हैं। इस मौके पर घरों को भी खास तौर पर सजाया जाता है तथा तिब्बती पारंपरिक व्यंजन बनाकर एक दूसरे की आवभगत की जाती है। पिछले साठ वर्षों से अधिक समय से धर्मशाला सहित देश और विदेशों में बतौर शरणार्थी रह रहे तिब्बती समुदाय के साथ-साथ स्थानीय लोग भी उनके इस नए साल के जश्न में शामिल होते हैं।  (हि.स.)

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