इंदौर न्यूज़ (Indore News)

10 लाख इंदौरी पते होंगे डिजीटल – पूछने-ढूंढने की झंझट से मिलेगी राहत

स्थानीय स्टार्टअप फर्म पता एप के साथ आज निगम करेगा एमओयू साइन, घर, दुकान, दफ्तर से लेकर सार्वजनिक सम्पत्तियों के साथ बिजली के खम्भे तक का होगा डिजीटल एड्रेस

इंदौर। पता ढूंढने के लिए हालांकि अभी गूगल मैप (Google Map) की मदद ली जाती है। मगर रास्तों के अलावा घर, दफ्तर या अन्य कोई पता ढूंढने में अवश्य परेशानी होती है और बार-बार फोन लगाकर पता समझना पड़ता है। अब इससे छूटकारा दिलाने के लिए इंदौर (Indore) की स्टार्टअप फर्म (startup firm) ने पता एप (App) बनाया है, जिसके जरिए हर घर, दुकान, दफ्तर, सार्वजनिक दफ्तर से लेकर बिजली के खम्भे तक का डिजीटल एड्रेस तैयार हो जाएगा। आज दोपहर नगर निगम के साथ इस पता एप का एमओयू (MoU) साइन होगा। निगम का कहना है कि स्वच्छता की तरह इंदौर को देश की पहली डिजीटल एड्रेस सिटी (digital address city) भी बनाएंगे। एप बनाने वाली फर्म के रजत जैन का कहना है कि लगभग 10 लाख डिजीटल एड्रेस तैयार किए जाएंगे।


निगम के स्मार्ट सिटी सीईओ ऋषभ गुप्ता (Nigam’s Smart City CEO Rishabh Gupta) के मुताबिक इंदौर को देश की पहली डिजीटल एड्रेसिंग सिस्टम सिटी भी बनाया जाएगा, जिसके चलते स्मार्ट सिटी इंदौर और पता नेविगेशन एप बनाने वालों के साथ आज एमओयू साइन किया जा रहा है। पता नेविगेशन ने एक एडवांस तकनीक विकसित की है, जिसका पेटेंट भी उनके पास है, जिसमें एक अनूठा पसंदीदा कोड रहेगा, जिसे कोई भी व्यक्ति अपने एड्रेस यानी पते के लिए इस्तेमाल कर सकता है और किसी भी व्यक्ति को पता भेजने के लिए उसे यह डिजीटल एड्रेस मैसेज के जरिए देना होगा और वह आसानी से घर, दफ्तर या दुकान पर पहुंच जाएगा। पता नेविगेशन के रजत जैन का कहना है कि ड्रोन डिलीवरी के लिए भी भविष्य में यह सिस्टम काम करेगा। अभी हम इंदौर शहर के 85 वार्डों में डिजीट एड्रेसिंग सिस्टम को शुरू करेंगे और अगले दो से तीन महीने में यह कार्य पूरा हो जाएगा, उसके बाद पूरे इंदौर जिले को लेंगे। 8 से 10 लाख डिजीटल एड्रेस तैयार हो जाएंगे। अभी अधिकांश लोग गूगल मैप का इस्तेमाल करते हैं, मगर शहर के भीतर कालोनी, अपार्टमेंट, टाउनशिप या अन्य जगह पता ढूंढने में परेशानी होती है और संबंधित व्यक्ति को बार-बार फोन लगाकर जानकारी लेना पड़ती है। इसकी बजाय पता नेविगेशन एप के जरिए जो डिजीटल एड्रेस बनेगा उससे आसानी से संबंधित व्यक्ति तय पते पर पहुंच जाएगा।

75 हजार करोड़ सालाना फिजुल होते हैं पता ढूंढने में खर्च

पता नेविगेशन के रजत और मोहित जैन तथा उनकी टीम का कहना है कि देशभर में हर साल अव्यवस्थित एड्रेसिंग सिस्टम के चलते 75 हजार करोड़ रुपए तक का नुकसान होता है। इसमें ईधन, समय की बर्बादी से लेकर बार-बार कॉल भी करना पड़ता है। मगर अब कोई भी व्यक्ति अपना डिजीटल एड्रेस तैयार कर सकेगा। ई-कॉमर्स, डिलीवरी करने वालों को भी इस एप से बड़ी मदद मिलेगी। घर, दफ्तर, ऑफिस से लेकर स्कूल, बगीचे, अस्पताल सहित तमाम सरकारी सम्पत्तियों से लेकर बिजली के खम्भे तक का डिजीटल एड्रेस बनाया जा सकेगा। इसमें लाइव ट्रैकिंग फीचर भी रहेगा, जिससे विजीटर कहां तक पहुंचा है उसकी भी जानकारी भी मोबाइल पर मिल जाएगी।

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