चुनावी हो-हल्ले में शासन ने पकड़ा दिया जनता को झुनझुना…
इंदौर। चुनावी हो-हल्ले के बीच शासन ने ताबड़तोड़ अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया तो शुरू करवा दी, मगर महत्वपूर्ण नियमों में संशोधन पर इंदौर से भोपाल तक खामोशी पसरी है। किसी अधिकारी या जनप्रतिनिधि के पास इस बात का जवाब नहीं है कि कागजों पर तो ये अवैध कॉलोनियां वैध कर दी, मगर जो बने मकान हैं, उनके नक्शों को कैसे मान्य किया जाएगा और अधिकांश भूखंड भी नोटरियों से ही लोगों ने खरीदे हैं, तो उन्हें रजिस्ट्रियों में किस तरह से तब्दील किया जाएगा, ताकि बैंक लोन मिलने से लेकर भविष्य में अन्य तरह की परेशानियां इन कॉलोनियों में रहने वालों को न हो। अभी नगर निगम ने पहली खेप में 100 कॉलोनियों को वैध किया है और दूसरी खेप में 20 कॉलोनियों पर दावे-आपत्तियों की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है, वहीं 101 कॉलोनियां भी कतार में हैं। मगर उनमें से अधिकांश की एनओसी कॉलोनी सेल को नहीं मिली है।
पूर्व के हर चुनावों से पहले अवैध कॉलोनियों को वैध करने का डमरू बजाया जाता है, ताकि इंदौर सहित प्रदेशभर में रहने वाले लाखों मतदाताओं के वोट हासिल किए जा सकें। शासन को यह अच्छी तरह पता है कि अवैध कॉलोनियों को वैध करना उतना आसान नहीं है, जितना की उसकी चुनावी घोषणा कर देना। यही कारण है कि पूर्व में शासन को मुंह की खाना पड़ी थी और जबलपुर हाईकोर्ट ने एक ही फैसले में पूर्व से लेकर वर्तमान तक कि की गई वैध कॉलोनियों को भी पुन: अवैध घोषित कर दिया था। यही कारण है कि इस बार शिवराज सरकार ने सतर्कता बरती और अवैध कॉलोनियों को वैध करने की बजाय अधोसंरचना विकास के नियम लागू किए गए। यानी हकीकत में ये अवैध कॉलोनियां वैध नहीं की जा रही हैं, बल्कि इनमें सिर्फ सडक़, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए अधोसंरचना विकास का प्रावधान किया गया है, जबकि भाजपा के सारे नेता, अन्य जनप्रतिनिधि अवैध कॉलोनियों को वैध करने का ढोल पीट रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिन कॉलोनियों को वैध किया जा रहा है, उनमें जो मकान बने हैं, उन्हें कैसे और किस नियम के तहत मान्य किया जाएगा? बने बनाए अवैध निर्माण का वैध नक्शा पास करना किसी भी नियम में मान्य नहीं है। यहां तक कि कम्पाउंडिंग के जरिए भी शत-प्रतिशत अवैध निर्माण को वैध नहीं किया जा सकता, क्योंकि 10 से लेकर 30 प्रतिशत तक ही अवैध निर्माण की कम्पाउंडिंग की जा सकती है और उसमें भी फ्रंट एमओएस, पार्किंग सहित अन्य प्रावधान होना चाहिए, जबकि अवैध कॉलोनियों में तो चूंकि नक्शे ही पास नहीं हुए और लोगों ने अपनी मनमर्जी से मकान तान दिए हैं, जिसमें किसी भी नियम का पालन नहीं किया गया है। लिहाजा इन मकानों के लिए कम्पाउंडिंग के पूरे नियमों को ही बदलना पड़ेगा, तो इसके साथ नोटरियों को किस तरह रजिस्ट्री के रूप में मान्यता दी जा सकती है, वह भी बड़ा सवाल है।
2022 तक की अवैध कॉलोनियों की सूची भी नहीं बना पाए झोनल अधिकारी
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने अवैध कॉलोनियों को वैध करने की शुरुआत करते हुए पिछले दिनों यह घोषणा भी कर दी थी कि अब 31 दिसम्बर 2022 की अवैध कॉलोनियों को वैध किया जाएगा, जिसके मद्देनजर निगमायुक्त हर्षिका सिंह ने 10 जून तक सभी झोनल अधिकारियों को उनके क्षेत्र की अवैध कॉलोनियों की सूची बनाने के निर्देश दिए। मगर सिर्फ तीन झोनल अधिकारियों ने ही कुछ कॉलोनियों की जानकारी दी है, जबकि 16 झोनों से एक भी नाम अभी तक नहीं मिले।
456 आपत्तियों की सुनवाई पूरी, तुलसी नगर में फंसा पेंच
कॉलोनी सेल ने दूसरी खेप में 20 कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया शुरू करते हुए दावे-आपत्तियां आमंत्रित की थी। इनमें तुलसी नगर में सर्वाधिक 400 से अधिक आपत्तियां मिलीं, जिसकी सुनवाई पिछले दिनों पूरी कर ली गई। सभी 456 आपत्तियों की सुनवाई के बाद सर्वेयर से भी रिपोर्ट मांगी जा रही है। तुलसी नगर में ग्रीन बेल्ट, सडक़, नाले की जमीनों पर भूखंड काटने और मकान बने होने का मसला है, जिसके चलते फिलहाल तो इन भूखंडों और मकानों को वैध की प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जा सकता।
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