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अगर मैं दोषी हूं तो गवर्नर ने अब तक उन्हें CM की कुर्सी पर क्यों रखा है?: हेमंत

रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) ने कहा है कि यदि उनपर लगे आरोप साबित हो चुके हैं और फैसले की जानकारी राज्यपाल (Governor) को है, तो उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर क्यों रखा गया है। संवैधानिक पद (constitutional post) पर दोषी को बैठाए रखने की जिम्मेदारी किसकी होगी। अगर वह सजा के पात्र हैं तो सजा क्यों नहीं सुनाई जा रही। सीएम ने यह बात उनके नाम खनन लीज के मामले में चुनाव आयोग (election Commission) का मंतव्य मिलने के बाद राज्यपाल रमेश बैस (Governor Ramesh Bais) के फैसले के इंतजार से जुड़े सवाल पर कही। मुख्यमंत्री शनिवार को आपकी योजना आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम को लेकर अपने आवासीय कार्यालय में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे।

सजा न देकर दी जा रही सजा
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहला उदाहरण है, जहां सजा सुनाने के लिए राज्यपाल से हाथ जोड़ कर गुहार लगाई जा रही है। यूपीए प्रतिनिधिमंडल के बाद उन्होंने खुद और उनकी पार्टी ने आरटीआई के तहत राज्यपाल से चुनाव आयोग के मंतव्य की प्रति मांगी। साथ ही जल्द फैसले की गुहार लगाई। लेकिन, लग रहा है कि सजा न दे कर उन्हें सजा दी जा रही है। सियासी संशय की स्थिति उनके लिए किसी सजा से कम नहीं।


क्या सीएम 88 डिसमिल जमीन का घोटाला करेगा
सीएम ने कहा कि वह दोषी होकर संवैधानिक पद पर हैं ऐसे में उनके विरोधी किस मुंह से नैतिकता की बातें करते हैं। राज्यपाल, चुनाव आयोग से पहले भाजपा को फैसले की जानकारी हो जाती है। उन्होंने सवाल किया कि क्या एक मुख्यमंत्री सिर्फ 88 डिसमिल का घोटाला करेगा।

आदिवासियों को फंसाने की साजिश
उन्होंने कहा कि विशेष मानसिकता वाले लोग समझते हैं कि आदिवासियों को कानून का ज्ञान नहीं। इसलिए आरोपों के पचड़े में उलझाने की साजिश रचते हैं। ऐसे लोग आदिवासी, दलित को आगे नहीं आने देना चाहते। उन्होंने लोकपाल में चल रहे मामले पर कहा कि मुख्यमंत्री लोकपाल के दायरे में नहीं आते तो उनके पिता शिबू सोरेन को सीढ़ी के रूप में इस्तेमाल करने की साजिश की गई। गुरुजी अब राजनीति नहीं करते बल्कि उनकी राजनीति पर सियासत होती है। स्टेन स्वामी की जेल में षडयंत्र कर हत्या की गई।

केंद्र अपनी असीम शक्तियों का कर रहा दुरुपयोग सीएम
मुख्यमंत्री ने कहा कि जांच एजेंसियां संवैधानिक संस्थाएं हैं, लेकिन इनमें अब स्वायत्तता नहीं दिखती। एजेंसियों के निर्णय से ऐसा लगता है कि इन्हें कोई और नियंत्रित कर रहा है। चुनाव आयोग ने हिमाचल में चुनाव की घोषणा की, लेकिन गुजरात में नहीं। उन्होंने कहा कि अपने ऊपर लगे आरोपों का वह कानूनी रूप से जवाब देने में सक्षम हैं।

एक जिले में बालू-पत्थर के खनन से एक हजार करोड़ आ रहे हैं तो कोयला, लोहा को माइनर और बालू-पत्थर को मेजर मिनरल घोषित कर देना चाहिए। बिहार के भाजपा एमएलसी के घर करोड़ों रुपये मिलने पर कार्रवाई नहीं हुई, पर जिसके घर अनाज का दाना नहीं मिला वहां कार्रवाई की जा रही हैं। केंद्र अपनी असीम ताकतों का दुरुपयोग कर रहा है।

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