इंदौर न्यूज़ (Indore News)

गर्मी में बीयर ने उड़ाए ठेकेदारों के होश, रोज 40 हजार का फटका

  • बोल्ट केन का पड़ा टोटा… दुकानें ज्यादा होने से नहीं हो रही आपूर्त

इन्दौर। गर्मी में शराब की तुलना में बीयर की खपत अधिक होती है और युवा वर्ग भी शराब की तुलना में बीयर की चुस्कियां लेना अधिक पसंद करता है। नई शराब नीति लागू होने से शराब के दामों में 20 फीसदी की कमी तो आई, वहीं देसी दुकानों पर भी विदेशी शराब बिकने और छोटे समूहों में दुकानों की संख्या बढऩे से अब आपूर्ति का टोटा भी पडऩे लगा है। वर्तमान में स्थिति यह है कि बोल्ट बीयर की केन ने गर्मी में ठेकेदारों के होश उड़ा दिए हैं और इस केन की आपूर्ति न होने से रोजाना करीब 30 से 40 हजार रुपए का फटका उन्हें पड़ रहा है।

दरअसल, बोल्ट बीयर केन सस्ती होने के साथ-साथ महंगी बीयर केन की तुलना में अधिक पसंद की जाती है, क्योंकि इसका टेस्ट भी पीने के युवा शौकीनों को भाता है। बताते हैं कि यह बीयर केन ठेकेदारों को 50 से 60 रुपए की पड़ती है, जिसे वह 100 से 120 रुपए तक में बेचते हैं। इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि देसी दुकानों पर भी विदेशी शराबों की खपत होने लगी है, जिसके चलते बीयर व केन की आपूर्ति डिस्टलरी से होने में परेशानी आ रही है। हालांकि शराब दुकानों पर हेवर्ट-5000, रिमोल, 500 माउंट, ब्रोकोट, बटवाइजर, बिराबूम से लेकर क्यूबक आदि की बोतल व केन मौजूद हैं, किन्तु बोल्ट बीयर केन की कमी ठेकेदारों के साथ-साथ युवा पियक्कड़ों को भी खल रही है, क्योंकि अन्य बीयर केनों की कीमत जहां 140 से 200 रुपए तक है, वहीं बोल्ट की गुणवत्ता अच्छी होने के साथ-साथ इसकी कीमत भी 100 से 120 तक है, वहीं खबर तो यह भी है कि अन्य बीयर व उनकी केन को खपवाने के लिए बोल्ट केन की आपूर्ति को घटा दिया गया।


जानकारी के मुताबिक एक शराब दुकान पर ही करीब 3 से 4 हजार बोल्ट बीयर केन की बिक्री रोजाना आसानी से हो जाती थी। इसकी आपूर्ति न होने से ठेकेदारों के होश उड़ गए और उन्हें रोजाना 30 से 40 हजार रुपए का फटका इससे लग रहा है। इस मामले में आबकारी आयुक्त राजनारायण सोनी का कहना है कि इस संबंध में अब तक कोई शिकायत हमारे पास नहीं पहुंची है।

किराया निकालना भी दूभर… खाली होने लगे अहाते
इधर छोटे समूहों में शराब ठेके जाने व देसी पर विदेशी शराब खपने से जहां ठेकेदारों के मुनाफे में कमी आई, वहीं अहाते वालों को भी फटका पडऩे लगा है। यह भी उल्लेखनीय है कि नई नीति में सरकार ने शराब ठेकेदारों का मार्जिन कम कर दिया है। पहले शराब ठेकेदारों को 30 प्रतिशत फायदा होता था, लेकिन उसे 10 प्रतिशत कम कर दिया गया है, वहीं शराब दुकानें और अहातों की संख्या अधिक होने से प्रतिस्पर्धा का दौर भी शुरू हो गया है। आलम यह है कि अहातों का किराया निकलना तक दूभर हो चुका है और लोग अहाते खाली करने लगे हैं। अभी ताजा मामला चोइथराम क्षेत्र का है, जहां पर अहाता का किराया भी संचालक न निकल पा रहा था और उसने अहाता खाली कर दिया।

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