भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

ट्रैफिक पुलिस का नवाचार, सरकारी खजाने को कर रहा बेकार

  • स्पीड बंप लगाने में खर्च किए 42 लाख रुपए…और चंद दिनों में उखाड़ दिए
  • अन्य एक्सपेरीमेंट में भी झोंकी मोटी रकम

भोपाल। शहर की यातायात पुलिस लगातार नवाचार के नाम पर सरकारी खजाने से मिनले वाले बजट की बरबादी कर रही है। इसी साल की शुरुआत में शहर के सैकड़ो पाइंट पर लगाए गए जिक-जेक ब्रेकर (स्पीड बंप) अचानक उखाड़ दिए गए। अब अधिकारियों का तर्क है कि इंजीनियरिंग सही नहीं होने के कारण इन ब्रेकर से हादसे बडऩे का डर था। शहर की तमाम सड़कों से निकाले गए 42 लाख 40 हजार रुपए कीमत के यह स्पीड बंप यातायात थाना परिसर में कबाड़ की तरह पड़े हैं। ट्रैफिक पुलिस ने सर्वे के बाद इन बे्रकर्स को शहर की विभिन्न सड़कों पर लगाया था। ऐसे में यातायात पुलिस के द्वारा कराए सर्वे पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं।
जानकारी के अनुसार इसी साल मार्च महीने में इन स्पीड बंप को शहर की सड़कों पर लगाया गया था। इनकों लगाने से पूर्व जमकर प्रचार प्रसार कराया गया कि चिन्हित पाइंट पर इन ब्रेकर्स को लगाया जा रहा है। जिससे सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी। इन जिक-जेक ब्रेकर्स को लगाने से पहले तमाम तरह के सर्वे कराए गए। एक कंपनी से भोपाल की सड़ाकों के लिए विशेष तौर पर डिजाइन किए गए जिक-जेक ब्रेकर्स की खरीदी में कुल 42.40920 लाख रुपए खर्च किए गए। चंद ही दिनों में यह ब्रेकर्स हादसों का सबब बनने लगे। कई स्थानों पर ब्रेकर्स के उखडऩे की शिकायतें भी मिलने लगी। लिहाजा रातों रात इन स्पीड बंप को शहर की सड़कों से उखाडऩे के बाद यातायात थाना परिसर में रख दिया गया। खास बात यह है कि यातायात पुलिस के अधिकारी रकम की बर्बादी करने के बाद इस मुद्दे पर विभिन्न प्रकार की राय दे रहे हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक टीआई ने बताया कि इस ब्रेकर्स को दोबारा इस्मामल करने के लिए विचार किया जा रहा है। अब ब्रेकर्स लगाने से पूर्व फायबर के नीचे सीमेंट भरी जाएगी। मकसद साफ है, एक और खर्च इन ब्रेकर्स के नाम पर करने पर विचार किया जा रहा है।


एक भी ब्रेकर में नहीं हुई टूट-फूट
वहीं एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ब्रेकर्स को निकालने में किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ है। सभी ब्रेकर्स पूरी सावधानी के साथ निकाले गए है, इस प्रक्रिया में एक भी ब्रेकर में टूट-फूट नहीं हुई है।

यह भी किए गए प्रयोग

  • ई-चालान: शहर में, विभिन्न चौराहों पर नियम तोडऩे वाले वाहनों की निगरानी कर ई-चालान भेजने का प्रयोग किया गया लेकिन वह भी असरकारक नहीं दिखा। शुरू में तो चालानों की संख्या अच्छी थी लेकिन बाद में घटती गई। ये एक अच्छा प्रयोग है जिसे बेहतर तरीके से लागू किया जाना चाहिए।
  • स्पीड इंटरसेप्टर: पुलिस मुख्यालय की तरफ से यातायात पुलिस को तेज रफ्तार वाहनों पर कार्रवाई करने के लिए स्पीड इंटरसेप्टर वाहन दिया। यह वाहन शहर में औचक रूप से कार्रवाई कर रहा है। बल की कमी एवं केवल एक वाहन होने की वजह से कार्रवाई प्रभावी नहीं हो सकी।
  • सीसीटीवी: 50 स्थानों पर यातायात एवं भोपाल पुलिस द्वारा सीसीटीवी कैमरों को लगवाया गया है। इनके माध्यम से ट्रैफि क जाम की स्थिति से निपटने के लिए इंतजाम किए जाते हैं। लेकिन, ज्यादातर कैमरे मेंटेनेंस के अभाव में बंद हैं, जिसके कारण मॉनीटरिंग ठीक से नहीं हो पा रही है।
  • ड्रोन कैमरे: अव्यवस्थित पार्किंग को दुरुस्त करने यातायात पुलिस में ड्रोन कैमरे का प्रयोग किया था। सप्ताह भर चली मुहिम के बाद पुलिस ने इस व्यवस्था को होल्ड पर रखा। ड्रोन कैमरों की निगरानी से अव्यवस्थित खड़े वाहनों को जगह पर पहुंचाने का प्रयास किया था, लेकिन विवाद हुए।
Share:

Next Post

वृंदावन की कुंज गलियों से लेकर गोवा बीच तक घूम रहे जनपद-जिपं सदस्य

Fri Jul 15 , 2022
चुनाव जीतने वाले सदस्यों की बाड़ा-बंदी शुरू देव-दर्शन की कहकर गायब हो रहे जनप्रतिनिधि भोपाल। प्रदेश में जनपद पंचायत के सदस्यों के चुनाव परिणाम घोषित हो चुके हैं और आज जिला पंचायत सदस्यों के परिणामों की औपचारिक घोषणा की जाएगी। अब ये सदस्य जिला पंचायत और जनपद अध्यक्ष-उपाध्यक्षों को चुनेंगे। अध्यक्षों के चुनाव से पहले […]