भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh Assembly 2023) के लिए एक तरफ जहां बीजेपी ने कई दिग्गजों पर दांव खेल रही तो वहीं कांग्रेस भी पीछे नहीं है, हालांकि इस बार मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस के सामने एक साथ कई चुनौतियां हैं। पार्टी टिकट वितरण के बाद अपने नेताओं की नाराजगी से जूझ रही है। साथ ही पार्टी पर अपना वोट प्रतिशत बढ़ाने का दबाव भी है, क्योंकि पिछले चुनाव में कांग्रेस और भाजपा में वोट प्रतिशत का अंतर काफी कम था। मध्य प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा के आगामी चुनाव के लिए 17 नवंबर को वोटिंग होगी और वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी।
मतदान को लेकर कांग्रेस दिख रही सतर्क : मध्य प्रदेश में वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस को 40.89 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि भाजपा का वोट प्रतिशत 41.02 प्रतिशत था। लोकसभा चुनाव में यह अंतर और बढ़ गया था। तब भाजपा का वोट प्रतिशत 58 फीसदी पर पहुंच गया, जबकि कांग्रेस को सिर्फ 34.5 प्रतिशत वोट मिले। ऐसे में कांग्रेस इस बार मतदान को लेकर काफी सतर्क है। चुनाव प्रचार के साथ पार्टी बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने में जुटी है, ताकि ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं को पोलिंग बूथ तक लाया जा सके।
प्रदेश कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि पार्टी अपना हर वोट बूथ तक लाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए पार्टी के सभी संगठनों की बूथ स्तरीय टीम गठित की गई हैं। इसके साथ पार्टी उन सीट पर ज्यादा फोकस कर रही हैं, जहां पिछली बार के चुनाव में जीत-हार का अंतर बेहद कम रहा था।
वर्ष 2018 के चुनाव में मध्य प्रदेश में 75.63 प्रतिशत मतदान हुआ था, जो 2013 के चुनाव के मुकाबले करीब तीन फीसदी अधिक है। पिछले चुनाव में 43 सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच हार-जीत का अंतर तीन फीसदी से कम था। इन सीट पर कांग्रेस युवा और पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं पर ज्यादा ध्यान दे रही है। राज्य में 22.38 लाख युवा मतदाता हैं। कांग्रेस राज्य में इस बार सर्तकर्ता से आगे बढ़ रही है।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के भीतर टूट के बाद सरकार बदलने और कई उपचुनावों के बाद विधानसभा में सीटों का गणित बदला है। वर्तमान में कांग्रेस के 96, भाजपा के 127, बसपा के दो, सपा का एक और चार निर्दलीय विधायक हैं।
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