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राजनीतिः देशहित से ज्यादा स्वयंहित की सोचते हैं नेता?

– ललित गर्ग गांधी के तीन बंदरों की तरह-वक्त देखता नहीं, अनुमान लगाता है। वक्त बोलता नहीं, संदेश देता है। वक्त सुनता नहीं, महसूस करता है। आदमी तब सच बोलता है, जब किसी ओर से उसे छुपा नहीं सकता, पर वक्त सदैव ही सच को उद्घाटित कर देता है। हम वही देखते हैं, जो सामने […]

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देश हित में कब बोलेंगे फारूक अब्दुल्ला

– आर.के. सिन्हा फारूक अब्दुल्ला उम्र बढ़ने के साथ धीर-गंभीर और संतुलित व शांत होने की बजाय अनाप-शनाप बोलने से अब भी बाज नहीं आते। यह उनकी हताशा भी हो सकती है कि वे अब जम्मू-कश्मीर और देश की राजनीति में कतई महत्वपूर्ण नहीं रब गए। उन्हें अब कोई गंभीरता से नहीं लेता। लेकिन, वे […]