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मंगल ग्रह की सतह के नीचे छिपा है पानी, NASA ने रिसर्च में किया दावा

वाशिंगटन । अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (US Space Agency NASA) के वैज्ञानिकों (Scientists) ने अब नया दावा किया है कि मंगल ग्रह (Mars) की सतह के नीचे प्राचीन पानी छिपा है। नासा (NASA) द्वारा पोषित इस अध्ययन ने उस थ्योरी को चुनौती दे दी है जिसमें कहा गया था कि मंग्रल ग्रह (Mars) का सारा पानी अंतरिक्ष (Space) में उड़ गया है।



कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (California Institute of Technology) और नासा (NASA) के जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी (जेपीएल) के वैज्ञानिकों का अध्ययन साइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें उनका दावा है कि मंगल ग्रह (Mars) पर मौजूद 30 से 99 फीसदी पानी ग्रह पर मौजूद खनिजों और उसकी सतह के भीतर मौजूद है।

वैज्ञानिकों के अनुसार 400 करोड़ वर्ष पहले मंगल ग्रह (Mars) पर इतना पानी था कि यहां 100 से 1500 मीटर गहरा और पूरे ग्रह पर फैला समुद्र बन सकता था। वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्रह की चुंबकीय शक्ति (मैग्नेटिक फिल्ड) खत्म हो गई थी। इसके बाद ग्रह का वातावरण खत्म होने लगा, इसी कारण ग्रह का पानी भी खत्म हो गया और करोड़ों वर्ष बाद भी वो आज भी सूखा है।

रासायनिक संरचना का विस्तार से शोध
प्रमुख शोधकर्ता ईवा स्केलर का कहना है कि मंगल ग्रह (Mars) की ऊपरी सतह पर कुछ खनिज है जिनके क्रिस्टल स्ट्रक्चर में पानी मौजूद है। स्केलर ने जो मॉडल तैयार किया है उसके अनुसार 30 से 99 फीसदी पानी इन्हीं खनिजों के बीच में हैं। वैज्ञानिक भाप, तरल और बर्फ के साथ मौजूदा स्थिति के सभी रासायनिक संरचना के अध्ययन के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं।

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