इंदौर न्यूज़ (Indore News)

एमवाय हॉस्पिटल की पहली मंजिल पर, 8 हाईटेक ऑपरेशन थिएटर, 5 मेडिकल वार्ड , 25 बेड का आईसीयू बनेगा

  • 5 करोड़ 41 लाख रुपए खर्च करेगा मेडिकल कॉलेज प्रशासन….मार्च 2023 तक बनाकर देगा पीडब्ल्यूडी

इंदौर। शहर की बढ़ती आबादी के साथ जहां मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, वहीं जनसंख्या में भारी बढ़ोतरी के साथ नई- नई बीमारियां भी सामने आ रही हैं। इसी के साथ उनके इलाज के लिए सर्जरी की नई मेडिकल तकनीक भी इस्तेमाल की जाने लगी है। ऑपरेशन के लिए अब हाईटेक ओटी की जरूरत पडऩे लगी है। इन सब बातों को ध्यान में रखकर एमवाय हॉस्पिटल में नए ऑपरेशन थिएटर, मेडिकल वार्ड व आईसीयू हॉल बनाने की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी की शाखा प्रोजेक्ट इम्प्लिमेंट यूनिट (पीआईयू) को दी गई है। पीआईयू का दावा है कि एमवायएच का यह नया प्रोजेक्ट मार्च 2023 तक पूरा हो जाएगा।

एमवायएच अधीक्षक परमेंद्रसिंह ठाकुर ने बताया कि गायनिक वार्ड को एमटीएच हॉस्पिटल में शिफ्ट करने के बाद एमवायएच की पहली मंजिल पर खाली पड़े गायनिक वार्ड की जगह पर 8 नए मॉड्यूलर ओटी, यानी हाईटेक ऑपरेशन थिएटर, 5 नए मेडिकल वार्ड सहित लगभग 25 मेडिकल बेड का आईसीयू हॉल बनने जा रहा है। मॉड्यूलर ओटी बनने से एक साथ 8 सर्जरी हो सकेगी। इसके लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन लगभग 5 करोड़ 41 लाख रुपए खर्च करने जा रहा है।

साल 2019 से अटका पड़ा है प्रोजेक्ट
पीआईयू के अनुसार मरीजों की बढ़ती संख्या को देखकर लंबे समय से एमवायएच में मेडिकल बेड बढ़ाने की जरूरत महसूस की जा रही है। इसीलिए 2019 में इस प्रोजेक्ट को प्लान किया गया था, मगर कोरोना के चलते 2 साल तक यह प्रोजेक्ट अटका रहा। जब कोरोना संक्रमण काल से राहत मिली तो बाद में यहां पर संचालित गायनिक वार्ड को नवनिर्मित एमटीएच हॉस्पिटल में शिफ्ट करने में समय लग गया। इसी दरमियान इस प्रोजेक्ट में डिजाइन सहित कुछ बदलाव किए गए। इसलिए इस प्रोजेक्ट के शुरू व खत्म करने का तय समय परिवर्तित होता रहा, लेकिन अब जल्दी ही इसका काम शुरू किया जा रहा है। सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो मार्च 2023 तक यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा। एमवायएच में जो पुराने 10 ओटी हैं उनका रिनोवेशन करना है या वहां कुछ नया स्ट्रक्चर खड़ा करना है। इसका फैसला पहली मंजिल पर 8 नई मॉड्यूलर ओटी बनाने के बाद होगा।


अन्य प्रोजेक्ट भी अटके पड़े हंै
ऐसा नहीं है कि एमवायएच में यही प्रोजेक्ट अटका या इसी प्रोजेक्ट की डीपीआर में बदलाव किया गया है। इसके पहले भी तत्कालीन संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी व अधीक्षक एडी भटनागर के कार्यकाल में बढ़ती हुई जनसंख्या के मद्देनजर 500 बेड की नई बिल्डिंग बनाने की योजना बनाई गई थी, मगर बाद में बदलाव करते हुए तय किया गया कि 280 बेड के लिए 2 नए बड़े मेडिकल वार्ड बनाए जाएंगे। छठी मंजिल की छत पर, यानी सातवीं मंजिल पर 160 तो छठी मंजिल पर 120 बेड के वार्ड बनाने का काम हाउसिंग बोर्ड को सौंपा गया था। तब से अभी तक यह महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट अधूरा पड़ा है। इसकी वजह भी कोरोना संक्रमण काल बताया जाता रहा है।

70 लाख में तैयार हो गया था
बड़े अस्पताल एमवायएच को यूं ही बड़ा अस्पताल नहीं कहते। पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों के हिसाब से लगभग 70 साल पुरानी एमवायएच की बिल्डिंग इतनी मजबूत बनाई गई है कि अभी 30 साल तक यूं ही कायम रहेगी, जबकि इसके बाद बनाई गई अन्य सरकारी इमारतें जर्जर या कमजोर हो चुकी हैं। उन्हें संबंधित विभागों द्वारा खतरनाक घोषित किया जा चुका है। इसीलिए एमवाय हॉस्पिटल की इस इमारत को आदर्श इमारत कहा जाता है। इस बड़े अस्पताल का भूमिपूजन 6 जून 1948 को किया गया था। यह साल 1953 तक बनकर तैयार हो चुका था। 2 अक्टूबर 1956 को इसका उद्घाटन किया गया था। यह अस्पताल 70 लाख रुपए में बनकर तैयार हो गया था। 35 लाख रुपए इंदौर के तत्कालीन महाराजा यशवंतराव होलकर ने दिए थे, बाकी 35 लाख रुपए सरकार के माध्यम व जनसहयोग से जुटाए गए थे।

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