इंदौर न्यूज़ (Indore News) मध्‍यप्रदेश

इंदौर के शहजाद अली की है ये कहानी,हौसले बुलंद हों तो हर राह है आसान


इंदौर। कहते हैं कि हौसले बुलंद (spirits high) हों तो कोई भी काम मुश्किल (work difficult) नहीं होता। इंदौर (indore) के एक शख्स का हौसला ही है कि वो अपनी शारीरिक परेशानी (physical discomfort) के चलते भी हार नहीं मान रहे हैं। अपने साथ ही अपनी मां (mothore0 और पत्नी (wife) के गुजारे के लिए व्हीलचेयर (wheelchair) पर जाकर फूड डिलीवरी करते हैं। कई तो उनके इस हौसले के लिए उनका सम्मान करते हैं तो कई ऐसे भी हैं, जो मजाक उड़ाकर हौसले पस्त करते हैं।


खजराना गणेश मंदिर के पास रहने वाले 32 साल के शहजाद अली (Shahzad Ali) एक ऐसी रेयर बीमारी से जूझ रहे हैं, जिसमें हड्डियों में परेशानी हो जाती है। कोरोना काल के पहले तक एक बीपीओ में काम करते थे, लेकिन कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम हुआ तो इन्हें काम करने में कई तरह की परेशानियां आने लगीं और नौकरी छूट गई। लॉकडाउन खत्म होने के बाद एक बार फिर इनका नौकरी तलाशने का संघर्ष शुरू हुआ तो यंग इंडियन वाले आगे आए और शहजाद को सीधे जोमैटो से जोड़ा। शहजाद बताते हैं कि वो दिन मुश्किलों वाले थे, लेकिन यंग इंडियन ने आखिर तक मेरी मदद की। फिर मैंने अपने लिए आईआईटी चेन्नई की बनाई विशेष व्हीलचेयर को खरीदा, जो बाइक और व्हीलचेयर में बदल जाती है। इसमें भी मेरी मदद यंग इंडियन वालों ने की। बीते दो साल से अब जोमैटो के लिए काम कर रहा हूं।

कर पाता हूं चार ही घंटे काम
शहजाद बताते हैं कि वो तो दिनभर काम कर सकते हैं, लेकिन उनकी व्हीलचेयर की बैटरी क्षमता केवल चार घंटे की ही है, इसलिए उन्हें बस चार घंटे काम कर घर लौटना पड़ता है। वे फूड डिलीवरी का काम या तो सुबह चार घंटे करते हैं या शाम को चार घंटे करते हैं और रोज ढाई सौ से तीन सौ रुपए कमा पाते हंै। ऐसे में इस व्हीलचेयर के लिए आने वाली बैटरी खरीद भी नहीं सकते। कहते हैं कि बैटरी 25 हजार की आ रही है। मैं अपने घर का किराया दूं, परिवार को पालूं या बैटरी की ईएमआई भरूं।

हौसला बढ़ाने और मजाक उड़ाने वाले भी
शहजाद के इस हौसले को अधिकतर लोग तो सलाम करते हैं, लेकिन कई ऐसे भी हैं, जो डिमोटिवेट कर देते हैं। हालांकि इनकी संख्या बहुत कम है। कई का इतना सहयोग रहता है कि किसी बिल्डिंग में यदि डिलीवरी के लिए ऊपर नहीं जा पाते और कहते हैं कि मैं दिव्यांग हूं, नहीं आ पाऊंगा तो लोग नीचे आ जाते हैं और सेल्फी लेने के साथ बातें भी करते हैं। तो कई कहते हैं कि अगर ऐसी हालत है तो ये काम क्यों करते हो, लेकिन मैं इन सब बातों पर ध्यान दिए बिना अपना काम करता रहता हूं।

काम तलाश रहा हूं…
शहजाद अब एक और काम तलाश रहे हैं। कम्प्यूटर चलाना जानते हैं तो इससे जुड़ा कोई काम या फिर किसी फूड आउटलेट में ही किसी तरह का काम करना चाहते हैं। फिलहाल उनकी बात एक पिज्जा कंपनी से चल रही है, लेकिन अभी तक बात बनी नहीं है। कहते हैं कि ये मेरा आत्मविश्वास ही है, जो मुझे यहां तक ले आया, वरना मेरी इस रेयर डिसिज में व्यक्ति ज्यादा जी नहीं पाता।

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