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चारधाम यात्रा और आधे-अधूरे इंतजाम

– डॉ. अनिल कुमार निगम

उत्तराखंड में चारधाम यात्रा कुप्रबंधन का शिकार हो गई है। स्थिति अत्यंत खराब होने लगी तो प्रशासन ने पहले यात्रा के लिए ऑफलाइन पंजीकरण और अब ऑनलाइन पंजीकरण भी बंद कर दिया है। तीर्थयात्रियों की इस यात्रा के दौरान मौतें होने की खबरें अत्यंत पीड़ादायक हैं। चारधाम यात्रा के लिए इन दिनों भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है और इस कारण से यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को भारी अव्यवस्था का भी सामना करना पड़ रहा है। सवाल यह है कि उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार होने के बावजूद चारधाम यात्रा के लिए शासन और प्रशासन ने पूर्व में समुचित तैयारी क्यों नहीं की? ऐसा क्यों हुआ? सरकार और प्रशासन से क्या और कहां चूक हुई? दर्शन के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन पंजीकरण को पहले ही नियंत्रित क्यों नहीं किया गया?


आज वहां जाम में जिस तरीके से लोग फंसने लगे हैं। हैरान व परेशान लोगों की जो तस्वीरें आ रही हैं, वे सचमुच डराने वाली हैं। गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में यातायात व्यवस्था कुछ हद तक तो पटरी पर लौटी है। फिर भी उत्तरकाशी से गंगोत्री धाम (105 किलोमीटर) तक पहुंचने में तीर्थयात्रियों को सात घंटे लग रहे हैं। यमुनोत्री धाम में पैदल यात्रा मार्ग पर तीर्थयात्रियों के आवागमन को सुगम बनाने के लिए जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने धारा 144 के तहत आदेश जारी किए थे। घोड़ा-खच्चर व पालकी की संख्या निश्चित समय अंतराल के लिए तय की गई है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बद्रीनाथ धाम को सृष्टि का आठवां वैकुंठ भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहां भगवान विष्णु छह महीने विश्राम करने के लिए आते हैं। साथ ही केदारनाथ धाम में भगवान शंकर विश्राम करते हैं। बद्रीनाथ में दो पर्वत हैं, जिन्हें नर और नारायण नाम से जाना जाता है। वह भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से हैं। माना यह भी जाता है कि केदारनाथ धाम के दर्शन के बाद ही बद्रीनाथ धाम के दर्शन से ही पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है।

शास्त्रों में बताया गया है कि चारधाम यात्रा करने से व्यक्ति को जीवन और मरण के चक्र से मुक्ति प्राप्त हो जाती है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति एक बार भी बद्रीनाथ के दर्शन करता है, उसे उदर यानि गर्भ में नहीं जाना पड़ता है। शिव पुराण में बताया गया है कि केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का पूजन करने के बाद जो व्यक्ति जल ग्रहण कर लेता है, उसे दोबारा जन्म नहीं लेना पड़ता है।

निस्संदेह, धार्मिक पर्यटन उत्तराखंड प्रदेश की अर्थव्यस्था को बहुत बड़ा संबल प्रदान करता है। बावजूद इसके इस पक्ष की अनदेखी की गई। सवाल यह है कि चारधाम यात्रा में अव्यवस्था क्यों हुई ? चारधाम यानी यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ जी की यात्रा शुरू होने के बाद इस बार पिछले वर्ष की तुलना में संख्या इतनी अधिक हो गई जिसके लिए प्रशासन तैयार ही नहीं था। चारधाम यात्रा के दौरान भारी भीड़ के सामने प्रशासन भी लाचार हो गया है। ऋषिकेश में सभी होटल बुक हैं और यात्रियों को रात गुजारने के लिए भी जगह नहीं मिल रही है। प्रशासन ने ऋषिकेश में ठहरे तीर्थयात्रियों के लिए ट्रांजिट कैंप में हैंगर व टेंट के अलावा धर्मशालाओं, स्कूलों तथा वेडिंग प्वाइंट में ठहरने की व्यवस्था की है। यहीं पर श्रद्धालुओं के लिए भोजन की भी व्यवस्था की जा रही है।

चारधाम यात्रा के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ कोई अचानक उमड़ी हो, ऐसी बात भी नहीं है। पिछले साल के मुकाबले तुलना करें तो इस यात्रा के पहले दो दिन में ही चालीस फीसदी से ज्यादा श्रद्धालु चारधाम यात्रा के लिए आए। अनेक यात्री अभी भी बिना पंजीकरण के वहां पहुंच रहे हैं। जाहिर है कि भीड़ प्रबंधन को लेकर जो तैयारी होनी चाहिए थी, वह समुचित रूप से नहीं की गई। असल में इस पर खास ध्यान ही नहीं दिया गया कि चारधाम यात्रा के लिए जाने के इच्छुक श्रद्धालु जिस तरह से पंजीकरण करा रहे हैं। रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया और श्रद्धालुओं की आवाजाही को नियंत्रित किया जाना चाहिए, पर ऐसा नहीं किया गया।

ऐसा लगता है कि इस बार पिछले सालों का रिकॉर्ड टूट सकता है। लेकिन यह भी सच है कि उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में सड़कों, गांव-कस्बों की अपनी क्षमताएं हैं। अगर क्षमता से अधिक लोग वहां पहुंच रहे हैं, तो इस समस्या पर न केवल ध्यान देना चाहिए बल्कि इसकी एडवांस प्लानिंग करनी चाहिए थी। निजी साधनों से जाने वाले यात्रियों के कारण वहां पर वाहनों की रेलमपेल बढ़ती है। सरकारी स्तर पर सार्वजनिक परिवहन का पुख्ता प्रबंध नहीं किया गया। यात्रा मार्गों को समय पर दुरुस्त नहीं करना भी प्रशासन की बड़ी नाकामी है। सड़कों पर ही वाहनों की बेतरतीब पार्किंग भी संकट बढ़ाने वाली है।

हालांकि धामों में अभूतपूर्व संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने के मद्देनजर मुख्यमंत्री पुष्कर धामी वहां की स्थिति को स्वयं मॉनीटर कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने अपने सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम और मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को उत्तरकाशी में कैंप करने तथा गंगोत्री और यमुनोत्री में यात्रा इंतजामों की लगातार निगरानी करने को कहा है। अगर आप चारधाम की यात्रा पर जा रहे हैं अथवा उसकी योजना बना रहे हैं तो सर्वप्रथम आपको सलाह है कि फिलहाल इस योजना को टाल दें। वहां पर अभी काफी अफरातफरी का माहौल है, इसलिए स्थिति सामान्य होने तक आप इंतजार करें। चारधाम यात्रा चूंकि अक्टूबर तक चलती है, इसलिए कुछ समय बाद आप वहां जाएं।

आप जब भी इस धार्मिक यात्रा पर जाएं तो कुछ और बातों का ध्यान रखें। चारों धाम हिमालयी क्षेत्र में स्थित हैं, ऑक्सीजन लेबल भी कम होता है, इसलिए स्वास्थ्य परीक्षण के बाद ही कदम बढ़ाएं। यात्रा के दौरान जरूरी जीवन रक्षक दवाइयां साथ लेकर जाएं। जुकाम, बुखार, सिरदर्द आदि की दवाइयां साथ में रखें। यात्रा मार्ग में खानपान का खास ध्यान रखें। ताजे भोजन का सेवन करें। उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मौसम प्राय: बदल जाता है। इसलिए ऊनी वस्त्र, कंबल, वाटरप्रूफ बिस्तर, बरसाती, छाता, टार्च आदि अवश्य साथ में रखें।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्प्णीकार हैं।)

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