ब्‍लॉगर

तुर्किए-भूकंप पर भारत की पहल

– डॉ. वेदप्रताप वैदिक

तुर्किए और सीरिया में आए भूकंप ने सारी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। ऐसे भूकंपों ने ईरान, अफगानिस्तान और नेपाल जैसे पड़ोसी देशों में भी कई बार हड़कंप मचाया है लेकिन वर्तमान भूकंप में लगभग 10 हजार लोग मारे गए हैं और लाखों लोग घायल हो गए हैं। बेघरबार हुए लोगों की संख्या तो और भी बड़ी है। आशा करें कि अभी कोई और झटका न आ जाए।

इस वक्त दुनिया के कई देश तुर्किए की मदद के लिए आगे आ रहे हैं लेकिन भारत ने इस मामले में जितनी फुर्ती और दरियादिली दिखाई है, उसने उसे दुनिया के महान राष्ट्रों की पंक्ति में खड़ा कर दिया है। तुर्किए और भारत के रिश्ते पिछले कुछ वर्षों में बहुत अच्छे नहीं रहे। तुर्किए ने भारत सरकार के उन कदमों का कड़ा विरोध किया था, जो उसने कश्मीर के बारे में उठाए थे। उसने कश्मीर के सवाल पर अन्य मुस्लिम राष्ट्रों को भड़काने का भी प्रयत्न किया था, जबकि सउदी अरब जैसे राष्ट्रों ने इस मुद्दे को भारत का आंतरिक मामला बताया था लेकिन भारत सरकार ने इस वक्त तुर्किए के मजहबी जुनून को दरकिनार कर इंसानियत के दरवाजे खोल दिए हैं। चार-चार चार्टर जहाजों से उसने लगभग 100 डाॅक्टरों और नर्सों को अंकारा और इस्तांबुल भेज दिया है। उसने ऐसे बचावकर्मियों को भी बड़ी संख्या में वहां भेजा है, जो मलबे में दबे लोगों की जान बचाने की कोशिश करेंगे।


ऐसी ही हमारी सरकारों ने 2011 में जापान और 2015 में नेपाल में जब भूकंप आया था, तब तुरंत मदद भिजवाई थी। तुर्किए के राष्ट्रपति रिसेप तय्यब एर्दोगन ने दिल्ली में हुए दंगों की एकतरफा भर्त्सना करने का दुस्साहस दिखाया था लेकिन हमारी सरकार ने तुर्किए की मदद करते समय हिंदू-मुसलमान का कोई भेद नहीं किया। इससे मोदी सरकार की छवि भारत के अल्पसंख्यकों में भी सुधरेगी। भारत और तुर्किए के प्रतिनिधियों की संयुक्तराष्ट्र संघ में टक्कर होती रही है लेकिन पिछले साल सितंबर को समरकंद में हुए शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन में जब मोदी और एर्दोगन की भेंट हुई तो आपसी संबंधों में काफी नरमी पैदा हो गई।

मैं इसीलिए बराबर तर्क देता रहता हूं कि यदि इस वक्त हम पाकिस्तान की संकटग्रस्त जनता की मदद के लिए हाथ बढ़ा दें तो दोनों देशों के संबंधों में अपूर्व सुधार हो सकता है। दिल्ली स्थित तुर्किए के राजदूत फिरत सुनेल ने भारतीय मदद के बारे में क्या खूब कहा है कि ‘‘दोस्त वही होता है, जो आड़े वक्त काम आता है।’’ तुर्किए को अगर जरूरत हो तो भारत अपनी मदद बढ़ा सकता है। अन्य संपन्न देशों को भी उसकी मदद के लिए वह प्रेरित कर सकता है। उसकी यह पहल दुनिया के सभी मुस्लिम राष्ट्रों में भारत के प्रति आदर की भावना को जगाएगी। तुर्किए में आए इस भयंकर भूकंप से भारत को भी सबक लेना होगा, क्योंकि भारत में छोटे-मोटे भूकंप आते ही रहते हैं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और जाने-माने स्तंभकार हैं।)

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