ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे


कांग्रेसी संस्कृति यहां नहीं चलेगी
ज्योतिरादित्य सिंधिया दीनदयाल भवन पहुंचने वाले थे और उसके पहले ही कुछ कांग्रेसियों ने कार्यालय के बाहर होर्डिंग्स लगा दिए। इनमें वे नेता शामिल थे जो अपने आपको महाराज का करीबी बताकर निगम चुनाव में दावेदारी करने वाले हैं। भाजपा नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे की नजर होर्डिंग्स पर पड़ी तो उन्होंने तुरंत कार्यकर्ताओं से वहां से उन्हें हटाने के लिए कहा। इस बीच होर्डिंग लगाने वाले एक पुराने कांग्रेसी भी पहुंच गए। वे कुछ कहते इसके पहले ही गौरव का नजरिया भांपकर वे चुप हो गए और समझ गए कि कांग्रेसी संस्कृति यहां नहीं चलने वाली। हालांकि गौरव ने कहा कि कार्यालय परिसर के बाहर वे होर्डिंग लगा सकते हैं। हमारे यहां कार्यालय के आसपास होर्डिंग लगाने की परंपरा नहीं है।
विजयवर्गीय के घर से दो नंबरी गायब
सिंधिया जब इन्दौर दौरे के आखिर में कैलाश विजयवर्गीय के घर पहुंचे तो उनका स्वागत करने वालों में तीन नंबरी नेताओं की संख्या अधिक थी और दो नंबरी गायब थे। तीन नंबरियों में भी वे ज्यादा थे, जिन्हें पार्षद का चुनाव लडऩा है। सिंधिया के आने के पहले आकाश विजयवर्गीय के साथ सेल्फी की खूब होड़ मची और जैसे ही सिंधिया आए तो उनके साथ फोटो खिंचाने की ललक में भाजपाइयों ने विजयवर्गीय के घर के गेट का कांच ही फोड़ दिया। यह भी पहली बार था कि विजयवर्गीय के घर में इस कदर गदर मची।
दरगाह का सदर बनने पर भाजपाइयों का विरोध
एमजी रोड की दरगाह कमेटी के सदर का पिछले दिनों कोरोना के चलते निधन हो गया था और तब से ही सदर की कुर्सी पर कुछ भाजपाइयों की नजर थी और नया सदर भी बना दिया, लेकिन अब उसका विरोध हो रहा है। भाजपा के बड़े नेताओं के कानों तक भी बात पहुंचाई गई है कि जिसे सदर बनाया गया वो भाजपा का नहीं है। हालांकि यहां की कमेटी का सदर होना काफी फायदेमंद है। ये हम नहीं कह रहे, बल्कि वे लोग कह रहे हैं जो यहां वक्फ की प्रापर्टी से होने वाली इनकम को लेकर कब्जा जमाना चाहते थे।
चिंटू के लिए पहुंचना पड़ा बाकलीवाल को
चिंटू चौकसे जिस तरह से कांग्रेस के मंच से किला लड़ा रहे हैं, उसमें दूसरे कांग्रेसी साथ दिखाई नहीं दे रहे हैं। सिंधिया को जब काले झंडे दिखाने की बात आई थी तो कांग्रेस अध्यक्ष विनय बाकलीवाल ने इस आंदोलन से पल्ला झाड़ लिया और कहा कि ये चिंटू का व्यक्तिगत आंदोलन है, जबकि ग्वालियर में शनिवार को पूरी कांग्रेस ने साथ खड़े होकर सिंधिया का विरोध किया। चिंटू जब पुलिसिया गाड़ी में पहुंच गए तो बाकलीवाल को दूसरे नेताओं के साथ मैदान पकडऩा पड़ा। उन्होंने गिरफ्तारी का विरोध किया, लेकिन दूसरे दिन जब चिंटू जेल से छूटे तब चिंटू के समर्थकों के अलावा कांग्रेस का कोई दूसरा नेता मौजूद नहीं था।
तेजतर्रार भाजपा नेत्री दलित नेता के भरोसे
भाजपा की एक तेजतर्रार नेत्री का लॉकडाउन के पहले वायरल हुआ ऑडियो अभी लोग भूले नहीं हैं। एक दलित कार्यकर्ता के साथ जिस तरह से उक्त नेत्री ने बातचीत (गाली-गलौज) की, उसे विरोधियों ने खूब हवा दी। बताया जा रहा है कि अब उक्त नेत्री एक दलित नेता, जो इन दिनों दलित राजनीति में सक्रिय हैं, के माध्यम से समझौता करने की कोशिश में लगी हैं। इसमें उनके नजदीकी भाजपा के कुछ बड़े नेता भी साथ दे रहे हैं और समझौता होने वाला भी है। एफआईआर वापस लेने की तैयारी है, क्योंकि आगे निगम चुनाव है और उक्त नेत्री को टिकट भी चाहिए। आखिर राजनीति में सारे समीकरण उनके पक्ष में हैं।
ठाकुर साब ने जन्मदिन में दिखाया दम
यूं तो ठाकुर साब (भंवरसिंह शेखावत) जन्मदिन नहीं मनाते हैं, लेकिन इस बार 70 की उम्र में उन्होंने न केवल अपना जन्मदिन मनाया, बल्कि इस बहाने बता दिया कि ठाकुर के बाजुओं में अभी भी दम है। बाकायदा वे बदनावर पहुंचे और वहां अपने कार्यकर्ताओं से स्वागत कराया। इशारा था कि बदनावर में भाजपा की राजनीति में ठाकुर के बिना कुछ नहीं है। हालांकि उनके इस तरीके को भाजपा के बड़े नेताओं ने तवज्जो नहीं दी और वे अपने समर्थकों में ही व्यस्त रहे। फिर भी भाजपा के बड़े नेता उन पर निगाह रखे हुए हैं कि ठाकुर के कदम किस ओर जा रहे हैं।
छिडक़ाव होने के पहले गंगाजल गायब
महापौर चुनाव लड़ चुकीं अर्चना जायसवाल ने उन विधानसभा क्षेत्रों में गंगाजल छिडक़ने का अभियान चलाने की तैयारी की, जहां से कांग्रेस के विधायक भाजपा में चले गए हैं। इसको लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के अध्यक्ष कमलनाथ के सामने गंगाजल की बोतलें लेकर पहुंच गईं। प्रचार-प्रसार भी खूब किया कि इसके माध्यम से प्रदेश में एक बड़ा अभियान चलाया जाएगा, लेकिन अर्चना के गृहक्षेत्र में ही ये अभियान दम तोड़ गया है। गंगाजल गायब है और छिडक़ने वाले भी। एक तरह से यह आयोजन अर्चना का व्यक्तिगत आयोजन बनकर रह गया और जो तवज्जो वे चाहती थीं, वह नहीं मिली। खैर, निगम का चुनावी साल है और अभी तो ऐसे मौके खूब आएंगे।

सिंधिया जिस तरह से भाजपा में अपने कदम बढ़ा रहे हैं, उसको देखकर भाजपाई भी आश्चर्य में हैं। एयरपोर्ट पर सिंधिया भाजपा के वरिष्ठ नेता से एक तरफ खड़े होकर मराठी में बतियाते रहे तो ताई के घर भी यही हुआ। सिंधिया का ये तरीका भाजपा में उन्हें कहां तक पहुंचाएगा ये तो आने वाला समय ही बताएगा। वहीं दूसरी ओर शनिवार को ग्वालियर के मंच पर प्रभात झा का चेहरा देखने लायक था। जिन सिंधिया की शिकायत की, उनकी ही शान में आज उन्हें कसीदे गढऩा पड़ रहे थे। आखिर इसी को तो पॉलिटिक्स कहते हैं प्यारे….

-संजीव मालवीय

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